



श्रीकृष्ण के अमृत वचनों से पाए जीवन में सुख, शांति और समृद्धि
श्रीमद्भागवत गीता, भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए दिव्य ज्ञान का संग्रह है। यह ग्रंथ जीवन के हर पहलू का मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता के श्लोक विषम परिस्थितियों में सही दिशा दिखाते हैं और मनुष्य को आत्मबोध तथा सकारात्मकता से भर देते हैं। यहां गीता के 5 ऐसे श्लोक दिए गए हैं, जिनका नियमित पाठ जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है।
1. आत्मा का अमरत्व (अध्याय 2, श्लोक 23)
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:।।
इस श्लोक में आत्मा को अविनाशी बताया गया है। इसे न जलाया जा सकता है, न काटा जा सकता है। आत्मा का यह ज्ञान डर और दुःख को दूर करता है।
2. आत्मा का मित्र और शत्रु (अध्याय 6, श्लोक 5)
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मन:।।
इस श्लोक के अनुसार, आत्मा ही मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र और शत्रु है। आत्मा पर विजय पाने से जीवन में शांति आती है।
3. क्रोध पर नियंत्रण (अध्याय 2, श्लोक 63)
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।
यह श्लोक बताता है कि क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, जिससे बुद्धि का नाश होता है। इससे बचने के लिए शांत रहना आवश्यक है।
4. इच्छाओं पर संयम (अध्याय 2, श्लोक 62)
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।
इस श्लोक में श्रीकृष्ण बताते हैं कि इच्छाओं का त्याग जीवन में शांति लाता है।
5. कर्मयोग का सिद्धांत (अध्याय 2, श्लोक 47)
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।
यह श्लोक कर्म करने का संदेश देता है, फल की चिंता नहीं करने की सीख देता है।
इन श्लोकों का नियमित पाठ व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मकता और जीवन में नई ऊर्जा प्रदान करता है।