



धर्म के चार चरणों पर सवार हुए भोलेनाथ, नंदी बाबा के संग निकली महादेव की बारात
घोड़ी नहीं, धर्म के प्रतीक नंदी पर सवार होकर भगवान शंकर ने दिया समर्पण, प्रेम और धर्म का दिव्य संदेश
शिव विवाह की कथा में एक अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक प्रसंग सामने आता है, जब शिवगणों ने भगवान शंकर से विवाह के लिए घोड़ी की व्यवस्था पूछी। इस पर भगवान शिव मुस्कराते हुए बोले कि उनकी सवारी तो सदा उनके साथ है—उनका प्रिय नंदी बैल। शिवजी बोले, “जिस नंदी ने मुझे जीवनभर अपनी पीठ पर ढोया, उसे इस शुभ घड़ी में कैसे छोड़ सकता हूँ? मेरी तो प्रतिष्ठा ही नंदी से है।”
यह सुनकर नंदी बाबा भावुक हो उठे। उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने मन ही मन सोचा कि वह तो साधारण सा बैल हैं—ना गरुड़ की तरह तेज़, ना ही उड़ने की क्षमता। फिर भी भगवान शिव उन्हें इतना प्रेम क्यों करते हैं?
भोलेनाथ ने नंदी के भावों को पढ़ लिया। उन्होंने नंदी को पास बुलाया और स्नेह से सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “तुम नहीं जानते कि तुम कितने महान हो। तुम्हारे चारों चरण धर्म के चार आधार—सत्य, तप, दया और पवित्रता—हैं। मैं तुम्हारे माध्यम से संसार को बताना चाहता हूँ कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत धर्म के सहारे ही करनी चाहिए।”
महादेव ने वरदान दिया कि मंदिर में आने वाला हर भक्त पहले नंदी बाबा को अपने मन की बात कहेगा, और वह बात सीधे शिवजी तक पहुँचेगी। अंततः भगवान शिव नंदी पर सवार होकर विवाह हेतु निकल पड़े, यह दर्शाते हुए कि सच्चा प्रेम और समर्पण ही सबसे बड़ा धर्म है।