



नोबेल विजेता और अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति का भारत से अनोखा रिश्ता
अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जिमी कार्टर का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कार्टर को भारत का ‘दोस्त’ माना जाता था और हरियाणा के दौलतपुर नशीराबाद गांव, जिसे अब ‘कार्टरपुरी’ के नाम से जाना जाता है, से उनका गहरा नाता था।
1978 में राष्ट्रपति कार्टर ने भारत दौरे के दौरान इस गांव का दौरा किया। यह गांव उस समय गुरुग्राम जिले में पड़ता था। यहां के लोगों ने पारंपरिक हरियाणवी अंदाज में उनका स्वागत किया। उन्होंने स्थानीय पोशाकें पहनीं और ग्रामीण जीवन का आनंद लिया।
कैसे बना ‘दौलतपुर नशीराबाद’ से ‘कार्टरपुरी’?
यह गांव जिमी कार्टर की मां, लिलियन कार्टर, से जुड़ा है, जो एक नर्स थीं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लिलियन भारत आई थीं और इस गांव में जेलदार शरफराज की हवेली पर रुकती थीं। उस समय वह गर्भवती थीं, और यहीं जिमी कार्टर का बचपन का एक अप्रत्यक्ष जुड़ाव बना। इसी ऐतिहासिक संबंध के कारण, राष्ट्रपति कार्टर की भारत यात्रा के बाद इस गांव का नाम उनके सम्मान में बदलकर ‘कार्टरपुरी’ कर दिया गया।
भारत-अमेरिका संबंधों में जिमी कार्टर का योगदान
कार्टर ने 1978 में भारतीय संसद में लोकतंत्र की वकालत की और सत्तावादी शासन के खिलाफ आवाज उठाई। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को मजबूत किया।
आज, कार्टरपुरी का नाम न केवल इतिहास बल्कि भारत-अमेरिका दोस्ती का प्रतीक है। उनकी याद में गांव ने कई बार उत्सव मनाए और इसे भारतीय और अमेरिकी लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतिबिंब बताया।