



लखनऊ – (BNE)आज के इस सोशल मीडिया के दौर में लोग किताबों से लगभग दूरी बना चुके है ,लेकिन लेखकों के अथक प्रयास के बलबूते ही धीरे -धीरे ही सही पुस्तकों की ओर लोगों ने वापसी शुरू कर दी है। राजधानी लखनऊ में आयोजित गोमती पुस्तक मेला कुछेक भीड़ समेटकर ही सही, पुस्तक प्रेमियों के लिए एक अच्छी एवं सकारात्मक पहल है । यहाँ लगभग 1000 लेखकों की पुस्तकें उपलब्ध है। इन्ही पुस्तकों में डॉक्टर आकांक्षा दीक्षित द्वारा लिखित “प्रेम दूत” और “लखनऊव्वा गड़बड़झाला” खासी सुर्खियां बटोर रही है। दोनों ही पुस्तकें लोगों के दिलों में एक अलग स्थान बना रही है।
गोमती पुस्तक मेला में शनिवार शाम को लेखक गंज में पुस्तक प्रेमियों और लेखकों के हुजूम को देखकर ये लगने लगा कि चलो… फिर से अच्छे दिन आने वाले है. सबसे बड़ी बात ये है कि आज की पीढ़ी के युवक भी पुस्तकों के काउंटर ,स्टाल पर किताबें खरीदते हुए दिखाई दिए। बाराबंकी से आए एक पुस्तक प्रेमी से बातचीत के दौरान उसने बताया कि इस बार पुस्तक मेले में काफी अच्छे लेखकों की पुस्तकें देखने को मिल रही है। लेखकगंज के माध्यम से तमाम लेखकों से रूबरू होने का सौभाग्य भी मुझे मिला। शाम के समय लेखक गंज में प्रदेश की मशहूर लेखिका डॉक्टर आकांक्षा दीक्षित की पुस्तकों पर परिचर्चा में आकांक्षा ने विस्तार से दोनों पुस्तकों पर प्रकाश डालते हुए प्रेम के विभिन्न रूपों और लखनऊ के आम जन-जीवन ,संस्कृति से जुडी किताब लखनऊव्वा गड़बड़झाला पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉक्टर आकांक्षा दीक्षित के बारे में एक खास बाते ये है कि पुस्तकों को लिखने जैसा कठिन काम भी वह अपने व्यस्ततम सरकारी सेवा और पारिवारिक माहौल में सामंजस्य बनाकर लगातार कर रही है।