



प्रदेश में बिजली कटौती की गंभीर समस्या, बिजली विभाग पैसे की कमी से जूझ रहा, प्रदेश के उपभोक्ता सरकार की वजह से परेशान सरकार के बिजली कटौती दूर करने के कोई प्रबंध नहीं – आराधना मिश्रा मोना, नेता ,विधानमंडल दल कांग्रेस
· भाजपा सरकार का ध्यान निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के बजाय बिजली को प्राइवेट कंपनियों को देने और विभाग के निजीकरण में ज्यादा,कांग्रेस इसका विरोध करती है : आराधना मिश्रा मोना, नेता विधानमंडल दल कांग्रेस
· कांग्रेस ने उठाया विधानसभा में महाकुंभ में अव्यवस्था से हुई श्रद्धालुओं की मौत का मुद्दा, सरकार इंतजाम कर पाने में पूरी तरह नाकाम रही: आराधना मिश्रा मोना,नेता विधानमंडल दल कांग्रेस
लखनऊ,(BNE)विधानसभा सत्र के दूसरे दिन कांग्रेस ने प्रदेशमें बिजली की समस्या पर सरकार को घेरा और बिजली कटौती से उपभोक्ताओं को हो रही समस्या पर चिंता जाहिर की और योगी आदित्यनाथ सरकार से निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की, आराधना मिश्रा मोना ने महाकुंभ में अव्यवस्था के मुद्दे को उठाया और अव्यवस्था की वजह से हुई भगदड़ में हजारों श्रद्धालुओं की दुखद मौत पर सरकार को निशाने पर लिया, साथ भगदड़ से हुई मौतों की घटना के लिए बनी जांच कमेटी की रिपोर्ट शीघ्र लाकर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।
विधानसभा में नेता विधानमंडल दल कांग्रेस आराधना मिश्रा ने विधानसभा के बजट सत्र केदूसरे दिन उत्तर प्रदेश में बढ़ रहे बिजली के संकट के मुद्दे को उठाया और बिजली की कमी और लाइन लॉस की वजह से हो रही बिजली कटौती और उससे उपभोक्ताओं को हो रही दिक्कतों पर सरकार के बदइंतजामों पर सवाल खड़ा किया, आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान समय में बिजली की मांग बढ़कर 20000 मेगावाट तक पहुंच गई है, पिछले वर्ष अधिकतम मांग जून में 30618मेगावाट तक पहुंची थी, इस वर्ष में और भी बढ़कर लगभग 32 से 33000 मेगावाट पहुंचने की उम्मीद है अभी उत्तर प्रदेश में सरकार के जो इंतजाम हैं सभी से मिलाकर 28000 मेगावाट विद्युत आपूर्ति का ही प्रबंध है, जबकि मांग कहीं ज्यादा है लेकिन सरकार की तरफ से मांग के सापेक्ष विद्युत उत्पादन और आपूर्ति को लेकर कोई तैयारी नही दिख रही है, जिसका कारण है कि अभी से विद्युत कटौती शुरू होगई है, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से 7 से 8 घंटे कटौती की जा रही है, प्रदेश में बिजली के 3 करोड़ 45लाख उपभोक्ता हैं जिसमें 15 लाख किसान हैं, लगभग प्रति वर्ष बिजली कटौती प्रदेश में बड़ा मुद्दा बनता रहा है, बिजली समस्या की वजह से जगह-जगह पर प्रदर्शन और जनाक्रोश पिछले वर्ष भी हमने देखा था,आज भी बिजली की कमी की वजह से और लाइन लॉस की वजह से हालात यह है कि औसतन रोजाना 1081ट्रांसफार्मर रोज फुंक जा रहे हैं।
आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि ऊर्जा मंत्री कनेक्शन बढ़ा रहे हैं अच्छी बात है, हरघर बिजली पहुंचे रोशनी पहुंचे लेकिन सरकार कनेक्शन तो बांट रही है लेकिन आपूर्ति के इंतजाम नाकाफी है, सरकार कह रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पांच नए 33 KV केविद्युत केंद्र की स्थापना की गई है क्या 25 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में क्या यह पर्याप्त है ? इसको लेकर सरकार से सवाल किया।
आराधना मिश्रा मोना ने बिजली विभाग के बजट खर्च को लेकर सवाल किया और कहा कि 10महीने में केवल 65% बजट ही मिला ऊर्जा विभाग को 66190 करोड़ काप्रावधान था , लेकिन स्वीकृत 48243 करोड़ की ही हुई और उसमें भी कटौती करके सिर्फ44523 करोड़ दिए गए, आप नए औद्योगिक क्षेत्रों की बात कर रहे हैंलेकिन जब वर्तमान मांग ही निर्बाध सुनिश्चित नहीं हो पा रही तो आगे कैसे होगा,भाजपासरकार निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के बजाय अपना पूरा ध्यान बिजली विभागको प्राइवेट हाथों में सौंपकर पावर कारपोरेशन का निजीकरण पर लगा रही है, जिससे महंगी बिजली का बोझ भी किसानों और गरीबों पर पड़ता है, जनहित में हमारासवाल है कि सरकार बिजली कटौती के लिए क्या व्यवस्था कर रही है ? बिजली उत्पादन सुनिश्चित हो उसके लिए नए पावर प्लांट लगाने की क्या व्यवस्था सरकार के द्वारा की जा रही है।
नेता विधानमंडल दल कांग्रेस आराधना मिश्रा मोना ने नियम 56 के अंतर्गत महाकुंभ में अव्यवस्था के मुद्दे को उठाया तहत उठाया, आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि महाकुंभ का मेला सनातन परंपरा का सबसे गौरवशाली मेला और पर्व है जहां पर देश और विश्व के कोने-कोने से लोग आते हैं, विश्वके आध्यात्मिक, संस्कृति के महत्व का यह पर्व देश में उत्तर प्रदेश में हुआ, सरकार व्यवस्था और तैयारी के बड़े बड़े दावे करती रही, सरकार की जिम्मेदारी थी कि श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था सुनिश्चित करती,स्वच्छता के इंतजाम, परिवहन, चिकित्सा की व्यवस्थाओं की तैयारी रहती, महाकुंभ के दौरान अव्यवस्था बनी जिससे भगदड़ हुई और हजारों श्रद्धालुओं की जान गई और सरकार मृत श्रद्धालुओं के आंकड़े छुपाती रही, आज भी हजारों श्रद्धालु लापता हैं, पार्किंग में खड़ी लापता गाडियां इसका प्रमाण हैं, उसका सबसे बड़ा कारण अनुभवहीन अधिकारियों कोलगाया गया सरकार सिर्फ निमंत्रण कार्ड बांटने में लगी रही उसका परिणाम यह हुआ कि अधिकारियों के अनुभवहीनता के चलते श्रद्धालु महाकुंभ में जो स्नान एवं दर्शन केलिए पहुंचे वह परेशान हुए , उनको खाने-पीने की समस्याओं की काफी दिक्कतें हुई, अभी भी हो रही है । और जो ऑटो टैक्सी, बस, हवाईजहाज के किराए पर सरकार का नियंत्रण न होने की वजह से श्रद्धालुओं को दो से चार गुना चुकाना पड़ा , अभी भी 2 से 4 गुना ज्यादा वसूली हो रही है, अव्यवस्था केचलते लाखों श्रद्धालुओं को बीच मार्ग से ही वापस होना पड़ा , सरकारने कहा था कि इस बार 40 करोड लोग स्नान कर चुके हैं, बहुत अच्छी गौरवकी बात है लेकिन जो सरकार ने महाकुंभ की व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थेउनकी वास्तविकता में व्यवस्थाएं बहुत चिंताजनक रही जिसकी वजह से श्रद्धालुओं में और स्थानीय निवासियों में काफी भयं आक्रोश प्राप्त है, मैं मांग करती हूं कि अव्यवस्था से भगदड़ की स्थित बनी जिससे श्रद्धालुओं की मौत हुई उस पर सदन में चर्चा हो,जो जांच कमेटी बनाई गई तो उसकी रिपोर्ट शीघ्र पेश हो और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।