यूपी में जिलाध्यक्षो के चुनाव में 10% मंडल अध्यक्षों के प्रस्तावक बनाने की अनिवार्यता समाप्त!
वर्षों बाद यूपी में स्वस्थ चुनाव प्रणाली का पालन होते दिख रहा है।
तावड़े ने सबकी मस्ती ढीली कर दी है।Election Observer Vinod Tawde:
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ :भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व उत्तर प्रदेश संगठन के चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े ने वर्षों से काकस को तोड़ते हुये जिला अध्यक्षों के चयन में मंडल अध्यक्षों के प्रस्ताव की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया।सूत्रों के अनुसार लगातार मिल रही शिकायतों से नाराज तावड़े ने जिला अध्यक्षों के निर्वाचन में 10% मंडल अध्यक्षों के प्रस्तावक होने की अनिवार्यता समाप्त कर दिया। जिसके कारण वर्षों से जिले से लेकर प्रदेश तक पदों पर जिनविन कार्यकर्ताओं का हक मार कर अतिक्रमण करने वोहदेदारों के पसीने छूट रहे हैं। अब भाजपा जिला अध्यक्ष बनने के लिये वह हर कार्यकर्ता नामांकन कर सकता है जो अध्यक्ष बनने की लालसा रखता है।बशर्ते दो बार से वह सक्रिय सदस्य रहा हो।सर्वानुमति से प्रदेश अध्यक्ष बने इसके लिये विनोद तावड़े मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, सिंचाई मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह से अलग-अलग भेंट किया है।उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन मंत्री धरमपाल, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह से भी लंबी चर्चा किया है।Election Observer Vinod Tawde:
वर्षों बाद यूपी में स्वस्थ चुनाव प्रणाली का पालन होते दिख रहा है। राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े सर्वानुमति से चुनाव सम्पन्न कराने के लिये प्रदेश के नेताओं से सीधे संपर्क कर रहे हैं। वर्षों से भाजपा का सांगठनिक चुनाव में पर्यवेक्षकों की संदेश वाहक की बनी भूमिका को तोड़ने में कामयाब हुये हैं। उन्होंने यूपी में कैंप कर के 1819 मंडल अध्यक्षों के सापेक्ष 1510 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति करवा दिया।बताते हैं कि कई जिलों में सांसद, विधायकों व सांगठनिक क्षत्रपों के बीच वर्चस्व की लड़ाई के कारण 309 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति रोक कर तावड़े लखनऊ से निकल लिये।Election Observer Vinod Tawde:
इसके पहले 30 दिसंबर को 750 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गयी थी।जिसमें दो वर्ष पूर्व मर चुके कार्यकर्ता को मंडल अध्यक्ष बना दिया गया था।इसको लेकर तावड़े ने जिम्मेदारों के कान उमेठे थे। इन्ही मंडल, जिला और प्रदेश के बनने वाले नये अध्यक्षों के कंधे पर 2026 का पंचायत और 2027 के विधानसभा चुनाव को जिताने की जिम्मेदारी रहेगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में के एक पूर्व संगठन मंत्री के व वर्तमान राष्ट्रीय पदाधिकारी हो चुके गुजरात टीम के कृपा पात्र नेता के काकस के लोग जमें हुये थे। राज्य के संघर्षशील नेताओं के हक पर बाबू टाइप लोगों का कब्जा हो गया था। आरोप है कि पिछले दस वर्षों में बाहरियों और संपन्न लोगों ने सौदेबाजी के बल पर सांगठनिक पद और सत्ता की मलाई काटी है। वह भाजपा के संघ व विद्यार्थी परिषद से आये कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ रहा था।तावड़े ने सबकी मस्ती ढीली कर दी है।Election Observer Vinod Tawde: