



अब उन्हें यहां दोबारा नहीं आना. इसलिए उन्हें रोकर नहीं बल्कि हंसते गाते हुए विदा किया है.Unique funeral rites:
Unique funeral rites:सुल्तानपुर (BNE ).उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से अंतिम संस्कार का एक अनोखा मामला सामने आया है। इस अंतिम संस्कार का वीडियो जब लोगों के सामने आया तो यह समाज में चर्चा का विषय बन गया। बेटे ने अपने 80 वर्षीय बुजुर्ग पिता के अंतिम संस्कार के समय वह सब किया ,जो एक शादी समारोह में किया जाता है। अंतिम संस्कार करने वाले बेटे श्री राम ने इस बारे में कटु सत्य समाज के सामने रखकर एक मिशाल पेश की है ,जिसकी हरा तरफ चर्चा हो रही है।Unique funeral rites:
मामला नगर कोतवाली क्षेत्र के नारायणपुर वार्ड के दुर्गापुर मोहल्ले का है. यहां के निवासी रामकिशोर मिश्रा का करीब 20 दिन पहले निधन हो गया था. उनकी आयु 80 वर्ष से अधिक थी. .ढोल- नगाड़ों के बीच साथियों संग नाचते गाते पिता की अर्थी को श्मशान घाट तक ले गए. पिता की अर्थी पर उसी तरह नोट लुटाए, जिस तरह कोई आम आदमी शादी-विवाह की खुशी में नोट लुटाता है. खुश होकर विधि विधान से पिता का अंतिम संस्कार किया. इसकी वीडियोग्राफी भी कराई.Unique funeral rites:
इसके बाद तेरह दिनों तक विधि विधान से क्रिया-कर्म संपन्न किए. यही नहीं तेरहवीं के दिन किसी शादी कार्यक्रम की तरह ही डीजे बजवाया. डीजे में नाचते गाते, खुशियां मनाते लोगों को भोज में खाना खिलाया. यानी पिता के गोलोकवासी होने पर उनके अंतिम क्रिया कर्मों को किसी शादी विवाह की तरह संपन्न किया.
इसके पीछे श्रीराम के क्या विचार थे, इस पर उन्होंने कहा कि इस नश्वर संसार से जो विदा होता है, वह दोबारा यहां नहीं आता. मेरे पिता गोलोक धाम को पधारे हैं. उनकी यह अंतिम बरात थी. अब उन्हें यहां दोबारा नहीं आना. इसलिए उन्हें रोकर नहीं बल्कि हंसते गाते हुए विदा किया है.
बेटे श्रीराम ने कहा कि लोग स्वार्थ के वश में होकर अपनों के जाने पर दुख व्यक्त करते हैं. जो सिर्फ एक दिखावा होता है. उनका मानना है कि किसी को भी रोते हुए इस संसार से विदा नहीं करना चाहिए. रोने से जाने वाली की आत्मा को दुख होता है.Unique funeral rites: