नई दिल्ली (BNE ) शेख हसीना के बांग्ला देश छोड़ने के बाद से ही यूनुस सरकार भारत के प्रति आग उगलने में लगा हुआ है। बांग्ला देश में लगातार हो रहे हिंदुओं पर हमलो को लेकर सभी चिंतित हैं। इस बीच एक खबर मिल रही है कि कलकत्ता के मानिकताला स्थित एक अस्पताल ने एकजुटता का सन्देश देते हुए अस्पताल में किसी भी बांग्लादेशी का इलाज \करने के लिए सख्त मना कर दिया है। जेएनराय अस्पताल के अधिकारी सुभ्रांशु भक्त ने शुक्रवार को कहा कि ‘आज से अनिश्चित समय तक इलाज के लिए हम बांग्लादेशी मरीजों को भर्ती नहीं करेंगे, इस बारे में हमने एक अधिसूचना जारी की है। भारत के प्रति उन्होंने जो असम्मान प्रकट किया है, यह फैसला उसी के लिए है।’
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अधिकारी का कहना है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जो हिंसा हो रही है, उसके विरोध में इस तरह की चीजें करनी जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘तिरंगे का अपमान देखकर हमने बांग्लादेशियों का इलाज न करने का फैसला किया। बांग्लादेश को एक आजाद मुल्क बनाने में भारत की अहम भूमिका रही है, बावजूद इसके वहां भारत विरोधी भावनाएं दिख रही हैं। हम आशा करते हैं कि अन्य अस्पताल भी इसी तरह का फैसला करेंगे।’
चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग
इस्कॉन ने बांग्लादेश की एक जेल में बंद हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग करते हुए लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को यहां अल्बर्ट रोड स्थित अपने केंद्र पर कीर्तन का आयोजन किया और पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर चिंता जतायी। इस्कॉन के अनुयायियों ने हाथों में तख्तियां लेकर दास के समर्थन में कीर्तन किया। इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों (विशेषकर हिंदुओं) की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डाला।