नई दिल्ली(ब्रेकिंग न्यूज़ एक्सप्रेस )) दुनिया में वेश्यावृत्ति के लिए थाईलैंड का पटाया चर्चित है। यहाँ रेंटल वाइफ का चलन बेहद प्रचलित है. ये एक तरह से वेश्यावृति का दूसरा नाम है। रेंटल वाइफ का चलन यहाँ के ग्रामीण क्षेत्रों से शुरू हुयी जिसने धीरे धीरे शहरी माहौल को भी प्रभावित किया और अब पूरा पटाया ही रेंटल वाइफ की गिरफ्त में है। दरअसल ग्रामीण परिवेश की लड़कियां यहाँ के विदेशी पर्यटकों के संपर्क में आयी और वेश्यावृत्ति को रेंटल वाइफ के रूप में विकसित कर दिया। थाईलैंड की सरकार भी स्वीकार करती है कि इस तरह की प्रथा व बिजनस देश में चल रही है और इसे नियंत्रित करने वाले कोई कानून नहीं हैं।
थाईलैंड में रेंटल वाइफ का बिजनेस तेजी से फेल रहा है ,जिसकी वजह से यहाँ यह एक बड़े के स्रोत में उभरकर सामने आ रहा है। खासतौर पर उन युवाओं के लिए जो पारंपरिक नौकरियों से अच्छा पैसा नहीं कमा पा रहे हैं। वो “रेंटल बीवी” या “रेंटल गर्लफ्रेंड” जैसी सेवाओं के जरिए अच्छा पैसा कमा सकते हैं। हालांकि थाईलैंड में किराये की पत्नियों की अवधारणा विवादास्पद प्रथा ही है।
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जिसमें आर्थिक तौर पर गरीब पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं पैसा कमाने के लिए विदेशी पर्यटकों की बीवी की तरह रहने लगती हैं, उसे घरेलू सेवाएं भी देती हैं। यह व्यवस्था औपचारिक विवाह नहीं है, बल्कि एक अस्थायी कांट्रैक्ट की तरह होता है, जो कुछ दिनों से लेकर कई महीनों तक चल सकता है।
ये महिलाएं मुख्य रूप से बार और नाइट क्लबों में काम करती हैं। पैसे कमाकर अपने परिवारों का समर्थन करने के लिए इस तरह के काम में आती हैं। इन महिलाओं को ब्लैक पर्ल भी कहा जाता है। आमतौर पर ये पार्टनर या टूर गाइड के रूप में काम करती हैं।
इतनी होती है रेंटल बीवी की कीमत
रेंटल बीवियों के किराये का समय कोई तय नहीं होता, ये कांट्रैक्ट पर निर्भर करता है। इसमें मिलने वाला पैसा सुंदरता, शिक्षा और उम्र जैसे मामलों पर भी निर्भर करता है। इसमें रेंटल बीवी की कांट्रैक्ट मैरिज की रकम $1,600 से $116,000 तक हो सकती है। कभी कभी इसमें जब समय के साथ रिश्ते विकसित हो जाते हैं तो कुछ महिलाएं आखिरकार अपने ग्राहकों से शादी कर लेती हैं या लंबे समय तक उनकी पार्टनर जैसे रोल में रहकर पैसा पाती रहती हैं। महिलाएं फिर किराये की अवधि के दौरान अपने ग्राहकों के साथ रहना शुरू करती हैं। कुछ रिश्ते अधिक स्थायी व्यवस्था में बदल जाते हैं। जहां महिलाओं को किराये की अवधि से परे आवास या वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। हालांकि इसे लेकर थाईलैंड में कोई कानून नहीं है यानि इन व्यवस्थाओं को नियंत्रित करने वाले कोई औपचारिक सुरक्षा या नियम नहीं हैं, इसलिए इन्हें अब खासा बढ़ावा मिल रहा है।