।लखनऊ (BNE)भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन द्वारा वाराणसी एवं आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय का विरोध किया जाएगा। लंबे अरसे से उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार बिजली को निजी हाथों में देकर निजी कंपनियां के मनमाना मुनाफा वृद्धि के लिए प्रयास कर रही है। बिजली कर्मचारियों के आंदोलन और किसानों मजदूरों उपभोक्ताओं के दबाव के कारण सरकार अपने निर्णय को लागू नहीं कर सकी थी। अब वाराणसी एवं आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का पावर कॉरपोरेशन द्वारा निर्णय लिया जाना पूरी तरह अदूरदर्शिता पूर्ण और जन विरोधी है।
यह जनहित में है कि निजीकरण के निर्णय को तत्काल निरस्त किया जाए। विद्युत सुधार के लिए सरकार ने वर्ष 2000 में विद्युत बोर्ड को विभाजित किया था । उस समय 77 करोड रुपए प्रति वर्ष का घाटा बताया गया था जो 25 वर्षों में बढ़कर अब 1 लाख 10 हजार करोड़ हो गया। स्पष्ट है कि सरकार द्वारा विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा इस घाटे के बहाने अब पावर कॉरपोरेशन ने बिजली के निजीकरण की घोषणा कर दिया है। यह घोषणा आंदोलन करने वाले विद्युत कर्मचारियों के साथ किए गए सरकार के समझौते का खुला उल्लंघन भी है ।
पावर कारपोरेशन द्वारा जारी किये गये घाटे के आँकड़े पूरी तरह भ्रामक हैं और उन्हें इस तरह प्रस्तुत किया जा रहा है मानों घाटे का मुख्य कारण कर्मचारी व अभियन्ता हैं। पॉवर कारपोरेशन में चालू दिनों में इस वर्ष सरकार द्वारा 46130 करोड़ रूपये की सहायता देने की बात कही है। पॉवर कारपोरेशन ने यह तथ्य छिपाया है कि 46130 करोड़ रूपये में सब्सिडी की धनराशि ही रूपये 20 हजार करोड़ है जो विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार सरकार को देनी ही होती है।
बिजली निजीकरण के विनाशकारी परिणाम हमारे सामने हैं। उड़ीसा में निजीकरण का प्रयोग वर्ष 1998 में किया गया था जो पूरी तरह विफल रहा था और वर्ष 2015 में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने निजी कम्पनी रिलायंस के सभी लाइसेंस रद्द किये।
उप्र में सबसे सस्ती बिजली राज्य के जल विद्युत गृहों से रूपये 01 प्रति यूनिट व राज्य के ताप विद्युत गृहों से रूपये 4.28 प्रति यूनिट मिलती है। इससे थोड़ी मंहगी बिजली एनटीपीसी से रूपये 4.78 प्रति यूनिट है जबकि सबसे मंहगी बिजली निजी क्षेत्र से रूपये 5.59 प्रति यूनिट और निजी क्षेत्र से शार्ट टर्म र्सोसेज से 7.53 रूपये प्रति यूनिट की दर से खरीदनी पड़ती है। उड़ीसा में बिजली खरीद की लागत रूपये 2.33 प्रति यूनिट है।
निजी क्षेत्र से मंहगी दरों पर बिजली खरीदने के बाद घाटा उठाकर सस्ती दरों में बेचना पड़ता है। उप्र में घाटे का सबसे बड़ा कारण यही है। वहीं दूसरी ओर मुंबई में निजी क्षेत्र की टाटा पॉवर कम्पनी की दरें घरेलू उपभोक्ताओं से 100 यूनिट तक रूपये 5.33 प्रति यूनिट, 101 से 300 यूनिट तक रूपये 8.51 प्रति यूनिट, 301 से 500 तक 14.77 प्रति यूनिट और 500 से यूनिट से अधिक पर 15.71 प्रति यूनिट है। निजी कम्पनी इस प्रकार भारी मुनाफा कमा रही है ।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का पूर्ण विरोध करती है और इसे फौरन वापस लेने की मांग करती है