विज्ञान पुस्तकालय माध्यमिक स्तर के विद्यालयों की एक प्रमुख आवश्यकता है। कुछ लोग विद्यालय पुस्तकालय के अस्तित्व की पृष्ठभूमि में विज्ञान पुस्तकालय की स्थापना करने पर प्रश्न उठाते हैं। फिर, प्रत्येक विषय के लिये अलग-अलग पुस्तकालय स्थापित करना वर्तमान आर्थिक स्थिति में व्यावहारिक नहीं लगता। इस प्रकार के तर्क वास्तविकता पर आधारित नहीं हैं। विज्ञान एक ऐसा विषय है जो तथ्यों पर आधारित है। इसमें निरन्तर संवर्द्धन होते रहते हैं। इसके ज्ञान में असीमित गति से वृद्धि हो रही है जिसका मानव जीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ रहा है। विज्ञान प्रत्येक विषय को प्रभावित करता है। पाठ्य-पुस्तकों में विज्ञान शिक्षा के लिये विषय-वस्तु पर्याप्त नहीं है। अनुपूरक पठन सामग्री को खरीदना शिक्षकों और शिक्षार्थियों के लिये आसान नहीं है। किन्तु इनका उपयोग भी शिक्षक-शिक्षार्थी के लिए एक अनिवार्यता है, अन्यथा विज्ञान शिक्षण अपूर्ण रहेगा। विद्यालय के पुस्तकालय में विज्ञान की विशिष्ट सभी पुस्तकें, साहित्य और पत्र-पत्रिकायें मँगाकर व्यवस्थित नहीं रखी जा सकतीं। फिर इस पुस्तकालय की अपनी व्यावहारिक समस्यायें होती हैं। एक ही साथ एक विद्यार्थी को एक से अधिक पुस्तकें नहीं दी जा सकतीं। विद्यालय के बजट में भी केवल विज्ञान-विषय के लिए ही अतिरिक्त साहित्य जुटाने के लिए विशेष प्रावधान सम्भव नहीं हैं। ऐसी स्थिति में विज्ञान का अलग पुस्तकालय होना आवश्यक है। इसका प्रबन्ध विज्ञान के शिक्षक और विद्यार्थी स्वयं कर सकते हैं। इससे अतिरिक्त आर्थिक और कार्यभार विद्यालय पर नहीं पड़ता। साथ ही विज्ञान की समस्त पठन सामग्री का अधिकतम उपयोग इस अवस्था में सम्भव है।
आवश्यकता-
(1) अधिक से अधिक विज्ञान की पुस्तकों के अवसर जुटाकर शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए यह ज्ञान के स्रोत उपलब्ध कराता है।
(2) पत्र-पत्रिकाओं और मुद्रित अनुसन्धान लेखों द्वारा विज्ञान विषय में नवीनतम ज्ञान प्राप्त करने का यह एक सरल अभिकरण है।
(3) विज्ञान शिक्षण शैक्षिक प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग की जानकारी उपलब्ध कराने से शिक्षक के अनुदेशन की प्रभावोत्पादकता में वृद्धि होने की सम्भावनायें बढ़ जाती हैं।
(4) इनके द्वारा शिक्षक स्वाध्याय से विज्ञान शिक्षण की नई-नई विधियों, प्रविधियों, कौशलों, आव्यूहों एवं उपक्रमों में अभिविन्यास प्राप्त करता रहता है। उसको आत्म-अभिगम में प्रशिक्षण प्राप्त होने के अवसर उपलब्ध होते हैं।
(5) अवकाश के सदुपयोग के लिए विज्ञान का पाठ्य-पुस्तकालय आदर्श साधन है इसमंम प्रेरणास्पद पुस्तकों के अध्ययन से पाठक को ज्ञान और मनोरंजन दोनों ही प्राप्त होते हैं।
(6) विज्ञान पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार के साहित्य के अध्ययन से विद्यार्थियों तथा शिक्षकों में सृजन शक्ति का विकास होता है।
(7) विज्ञान के मनोरंजक साहित्य के अध्ययन से पाठकों में पढ़ने की आदत के विकास की प्रक्रिया को सहायता मिलती है
गठन- प्रत्येक अच्छे विद्यालय में विज्ञान का पुस्तकालय एक प्रमुख आवश्यकता है। सबसे पहले इसके लिए सुविधाजनक कक्ष की आवश्यकता है। वर्तमान साधनों की सीमाओं में यह सरल नहीं है। विद्यालय में इसके लिए अलग कक्ष की व्यवस्था करना कभी-कभी व्यावहारिक नहीं लगता। यदि ऐसा सम्भव हो तो यह उत्तम स्थिति है। किन्तु, दूसरी स्थिति में जबकि विद्यालय में इसके लिए अतिरिक्त कक्ष उपलब्ध न हो तो विज्ञान की प्रयोगशाला और शिक्षक कक्ष में विज्ञान पुस्तकालय का संचालन किया जा सकता है। इसमें विज्ञान की पुस्तकों को वर्गीकरण के अनुसार खुले रैकों में रखा जा सकता है। पत्र-पत्रिकाओं के लिए अलग रैकों की व्यवस्था हो। प्रयोगशाला में ही एक कोने पर अध्ययन के लिए प्रयोगशाला की ही मेज का उपयोग किया जा सकता है। किन्तु, इसके प्रभावी और व्यवस्थित संचालन के लिए सभी शिक्षार्थियों में आत्मानुशासन पहली शर्त है। अन्यथा अव्यवस्था एवं गड़बड़ी की सम्भावनायें रहती हैं।
विज्ञान पुस्तकालय की सुचारु व्यवस्था का क्रियाशील दायित्व विद्यार्थियों पर होना चाहिए। विज्ञान के शिक्षक केवल मार्गदर्शक एवं पर्यवेक्षक का कार्य करें। वे देखते रहें कि पुस्तकालय का संचालन सुचारु रूप से चल रहा है। प्रयोगशाला सहायक को व्यवस्थापक की मुख्य भूमिका सौंपी जा सकती है। पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं को हमेशा विद्यार्थियों के जाने के बाद यथास्थान रखने के लिए छात्रों की समिति बनाई जानी चाहिए। प्रत्येक कक्षा का एक विद्यार्थी इस समिति का सदस्य हो। समिति के सदस्यों का चुनाव कक्षा के ही छात्रों द्वारा किया जाये। इस सदस्यता को कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा निश्चित अवधि के बाद आवश्यकता पड़ने पर बदला जा सकता है। प्रत्येक कक्षा के लिए सुझाव देने हेतु शिक्षकों की सेवायें उपलब्ध हों पत्र-पत्रिकाओं की प्रमुख बातों का प्रयोगशाला के निर्धारित बुलेटिन बोर्ड के उपयोग से प्रचार किया जाना चाहिए जिससे कि अधिक से अधिक छात्र इस ओर आकर्षित होकर लाभान्वित हो स्कें। विद्यालय के मुख्य पुस्तकालय की सेवायें भी यहाँ ली जा सकती हैं। दोनों पुस्तकालयों के को परस्पर प्रतिस्पर्धा में नहीं होना चाहिए। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के पारस्परिक सहयोग से ही विद्यालय के अधिकर्ता कल्याण का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। शिक्षकों, पुस्तकालय अधीक्षक, प्रयोगशाला सहायक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण सभी के पारस्परिक सहयोग से यह व्यवस्था सफल हो सकती है। विद्यालय प्रशासन को इस लाभप्रद व्यवस्था में अपेक्षित सहयोग और सहायता उपलब्ध करानी चाहिए।
(2) विज्ञान पुस्तकालय के लिए पठन सामग्रियां :
विज्ञान पुस्तकालय के लिए पठन सामग्री का वर्गीकरण निम्नांकित के अनुसार किया जा सकता है-
(1) पाठ्य-पुस्तकें
(2) अनुपूरक और प्रेरणास्पद पुस्तकें
(3) पृष्ठभूमि पुस्तकें
(4) सन्दर्भ पुस्तकें
(5) विज्ञान और भौतिकी की पत्र-पत्रिकायें
(6) विज्ञान एवं भौतिकी का शिक्षा-शास्त्र
माध्यमिक स्तर के लिए विज्ञान पुस्तकालय हेतु उपर्युक्त वर्गीकरण के अनुसार हमारे देश में उपलब्ध हिन्दी और अंग्रेजी की प्रमुख पठन सामग्रियाँ यहाँ दी जा रही हैं-
(1) पाठ्य-पुस्तकें- प्रत्येक कक्षा के लिए एक से अधिक पाठ्यपुस्तकें अलग-अलग लेखकों द्वारा निर्धारित होती हैं। आय-व्यय के अनुसार उपयुक्त संख्या में सभी लेखकों की पाठ्य-पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिए। सभी पड़ोसी राज्यों में प्रचलित पाठ्यपुस्तकें भी यहाँ उपलब्ध करायी जानी चाहिए।
(2) अनुपूरक और प्रेरणात्मक पुस्तकें- इस वर्ग में वह साहित्य आता है जिसके अध्ययन से विद्यार्थियों का मनोरंजन हो। इस वर्ग में रोमांचकारी कृतियाँ अध्ययन के प्रति छात्रों को आकर्षित करने का सशक्त साधन है। इनसे प्रतिभाशाली शिक्षार्थियों की जिज्ञासा भी शान्त और अभिप्रेरित होती है।
(3) पृष्ठभूमि पुस्तकें- ऐसी पुस्तकों को, जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र में विकास और प्रगति की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करती है, पुस्तकालय में अवश्य स्थान दिया जाना चाहिए, जैसे-चन्द्रमा की कहानी, पृथ्वी की कहानी, भाप-इन्जन की कहानी, पेन्सलीन की कहानी, मानव मशीन, विज्ञान का दर्शन, वेदों में विज्ञान आदि।
(4) सन्दर्भ पुस्तकें- कुछ पुस्तकें ऐसी हैं जिसमें विज्ञान का व्यापक विवरण है। विज्ञान के किसी भी क्षेत्र की वाछित जानकारी इनसे प्राप्त होती है, जैसे-विज्ञान का पारितोषिक शब्दकोश, विज्ञान का कोश आदि।
(5) विज्ञान एवं भौतिकी की पत्र-पत्रिकायें- इस सम्बन्ध में आगे अनुच्छेद 10.9 में विवरण दिया जा रहा है।
(6) भौतिकी का शिक्षाशास्त्र- विज्ञान-शिक्षण में निरन्तर परिवर्तन हो रहे हैं। शिक्षा में प्रविधि के प्रवेश से एक क्रान्ति आ गयी है। नवाचार विज्ञान के शिक्षा शास्त्र की नियति बन चुकी है। अतः प्रत्येक विज्ञान पुस्तकालय में विज्ञान शिक्षण से सम्बन्धित पुस्तकें अवश्य होनी चाहिए जिससे कि शिक्षक अपनी अनुदेशन क्षमता बढ़ाने में सक्रिय रह सकें। कुछ प्रमुख पुस्तकों की सूची यहाँ भी दी जा रही है। इनमें विज्ञान शिक्षण की प्रचलित सामान्य पुस्तकें शामिल नहीं की गई हैं।
विज्ञान/भौतिकी की पत्र-पत्रिकायें :
भौतिकी के सफल शिक्षण के लिए उसकी नवीनतम खोजों की जानकारी रखना शिक्षक के लिए आवश्यक है। वर्तमान वैज्ञानिक और तकनीकी युग में यह एक मूल आवश्यकता है। उपलब्ध मुद्रित पुस्तकों से ये जानकारियाँ प्राप्त नहीं हो सकती हैं। इसके लिए हमें विज्ञान की पत्र-पत्रिकाओं से ही विज्ञान एवं भौतिकी में हो रहे नवाचार की नवीनतम जानकारियाँ प्राप्त हो सकती हैं। इसके साथ ही इनसे पाठकों को भौतिकी के क्षेत्र में अनुसन्धान कार्य करने की अभिप्रेरणा भी मिलती है। भौतिकी शिक्षक अपने शिक्षण अनुभवों का लाभ इनके माध्यम से दूसरों तक पहुँचाने के अवसर प्राप्त करता है तथा स्वयं भी दूसरों के अनुभवों का लाभ उठाकर अपने शिक्षण कार्य को अधिकाधिक प्रभावी बनाने की दिशा में निरन्तर क्रियाशील रहता है इनके माध्यम से देश के कोने-कोने में भौतिकी एवं विज्ञान के शिक्षकों में परस्पर अन्तक्रिया के अवसर प्राप्त होते हैं। इससे देश में विभिन्न भागों के विज्ञान शिक्षकों में सम्पर्क बना रहता है
शिक्षक के ज्ञान से शिक्षार्थी के अधिगम की ही प्रोन्नति होती है। इन पत्र-पत्रिकाओं के अध्ययन से शिक्षार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि का विकास तो होता ही है, वे अपने ज्ञान का विस्तार भी करते हैं। इसलिए प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में विज्ञान पुस्तकालय में अधिक से अधिक पत्र-पत्रिकायें उपलब्ध करानी चाहिए। यहाँ कुछ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं की सूची दी जा रही है। इन्हें पुस्तकालय में उपलब्ध कराया जा सकता।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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