नई दिल्ली- रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद भी देश में महंगाई दर घटने का नाम नहीं ले रही है। देश में अक्टूबर के महीने में खुदरा महंगाई दर 14 महीने के रिकॉर्ड हाई लेवल 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले महीने के 5.5 प्रतिशत की तुलना में काफी ज्यादा है।
महंगाई दर में यह इजाफा सब्जियों की कीमत बढ़ने से हुआ है, जिसका इसर खाद्य महंगाई दर पर देखा गया। कई रिपोर्ट के आधार पर यह पहले ही उम्मीद जताई गई थी कि अक्टूबर के महीने की महंगाई दर बढ़कर 6 प्रतिशत के आसपास रह सकती है। महंगाई दर के सवा साल के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद यह उम्मीद है कि दिसंबर में होने वाले मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) की मीटिंग में रेपो रेट को पुराने लेवल पर ही बरकरार रखा जाएगा। पिछली दस एमपीसी की मीटिंग से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत के लेवल पर ही बना हुआ है, अगर इस बार इसमें बदलाव नहीं किया गया तो यह लगातार 11वां मौका होगा जब रेपो रेट पुराने स्तर पर ही बना रहेगा। इससे पहले सितंबर के महीने में महंगाई दर नौ महीने के रिकॉर्ड लेवल 5.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई (RBI) के 6 प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर निकल गया है। पिछले साल इसी महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बेस्ड महंगाई दर 4.87 प्रतिशत थी। एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं में महंगाई दर अक्टूबर में बढ़कर 10.87 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 9.24 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत थी। आरबीआई ने पिछले महीने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था. सरकार ने केंद्रीय बैंक को महंगाई दर 4 प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़) पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
बता दें पिछले दो बार से फेडरल रिजर्व की मीटिंग में अमेरिका में नीतिगत दर में 75 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है। इसके अलावा दूसरे यूरोपीय देशों में भी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में कटौती की है। जिसके बाद आरबीआई पर भी रेपो रेट घटाने को लेकर दबाव बढ़ गया। पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि आरबीआई की तरफ से दिसंबर में होने वाली एमपीसी की मीटिंग में रेपो रेट को 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक कम किया जा सकता है। लेकिन हाल ही में एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर में रेपो रेट में कटौती किये जाने की उम्मीद कम ही है। उम्मीद की जा रही है कि फरवरी 2025 तक भारत का केंद्रीय बैंक कटौती का ऐलान कर सकता