एलएसी पर तनाव के बीच बातचीत से रिश्तों को सुधारने की कोशिश
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल 17 दिसंबर को भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे। यह पांच साल में पहली बार है जब कोई वरिष्ठ भारतीय अधिकारी चीन दौरे पर गया है। इस दौरे को भारत-चीन संबंधों में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
डोभाल बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे। इससे पहले दोनों नेता सितंबर में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में मिले थे, जहां एलएसी पर डिसइंगेजमेंट का खाका तैयार हुआ था। माना जा रहा है कि बीजिंग में डोभाल का मकसद सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापित करने और संबंधों को सामान्य बनाने के लिए ठोस उपायों पर चर्चा करना है।
चीन ने इस वार्ता से पहले संकेत दिए हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में बनी सहमति का सम्मान करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देश आपसी विश्वास बढ़ाने और सीमा विवाद का समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
एलएसी पर 2020 के सैन्य गतिरोध और गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। व्यापार को छोड़कर अधिकांश संवाद ठप हो गए थे। ऐसे में डोभाल का यह दौरा भारत-चीन संबंधों में नई दिशा देने का प्रयास माना जा रहा है। उनकी इस कूटनीतिक पहल पर सभी की नजरें टिकी हैं।