असम सरकार की खेल नीति पर अर्जुन पुरस्कार विजेता भोगेश्वर बरुआ का सवाल
खेल प्रतिभाओं की पहचान और प्रशिक्षण की कमी पर उठाए गंभीर मुद्दे
असम के पहले अर्जुन पुरस्कार विजेता और 1966 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता धावक भोगेश्वर बरुआ ने राज्य सरकार की खेल नीति पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों से नई खेल प्रतिभाओं की पहचान और उन्हें पोषित करने में विफल रही है।
84 वर्षीय बरुआ ने ‘पीटीआई’ से बातचीत में कहा कि राज्य में नई प्रतिभाओं को उभारने के लिए अब खेल शिविर आयोजित नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार ने प्रशिक्षकों की नियुक्ति की है, लेकिन वे जिलों में शिविर आयोजित करने में असफल रहे हैं। अगर कोई कोचिंग नहीं होगी, तो खिलाड़ी कैसे तैयार होंगे?”
उन्होंने राज्य सरकार पर केवल उन्हीं खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया जो अपने बलबूते सफल हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा, “सरकार ने खुद किसी खिलाड़ी को तैयार नहीं किया। जब खिलाड़ी खुद को साबित कर देता है, तभी सरकार आगे आती है। यह रवैया गलत है।”
बरुआ ने असम सरकार से बार-बार खेल शिविर आयोजित करने का आग्रह किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने हिमा दास और लवलीना बोरगोहेन की उपलब्धियों को उनके परिवारों की मेहनत का परिणाम बताते हुए कहा, “इनकी सफलता में सरकार का योगदान नाममात्र का है।”
बरुआ का यह बयान राज्य में खेल विकास की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।