लखनऊ (BNE)– विश्वविद्यालय एवं सिविल व आर्किटेक्चर सॉफ्टवेयर बनाने वाली जर्मन कंपनी नेम्सचेक के बीच हुआ एमओयू, कंपनी विश्वविद्यालय में इंस्टॉल करेगी अपना सॉफ्टवेयर जिससे शिक्षको व विद्यार्थियो का तकनीकी विकास होगा व रोजगार के नये अवसर मिलेगे
डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग एवं आर्किटेक्चर के छात्र अत्याधुनिक बिल्डिंग और डिजाइन बनाने में माहिर होंगे। इसके लिए जरूरी नई तकनीकी जैसे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और अन्य टूल्स विश्वविद्यालय में ही सीख निकलेंगे। विश्वविद्यालय और सिविल इंजीनियरिंग एवं आर्किटेक्चर में सॉफ्टवेयर बनाने वाली जर्मन कंपनी नैमस्चेक के बीच शुक्रवार को एमओयू हुआ है। इसके तहत कंपनी विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर एक्सीलेंस स्थापित कर अपने सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करेगी। सॉफ्टवेयर को विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्थानों के छात्र निःशुल्क उपयोग कर सकेंगे। इन सॉफ्टवेयर की मदद से छात्र सिविल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर के क्षेत्र में काफी स्किल्ड होंगे। एमओयू के तहत कंपनी छात्रों को प्रशिक्षित भी करेगी। जिससे कि छात्र इंजीनियरिंग के इस कोर ब्रांच में भी अपना बेहतर भविष्य बना सकें। एमओयू का आदान-प्रदान माननीय कुलपति0 प्रो0 जेपी पाण्डेय एवं आआईसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी प्रो0 राजीव कुमार की मौजूदगी में हुआ।
इंजीनियरिंग के कोर ब्रांच में बढ़ रहा रूझान
इस मौके पर विश्वविद्यालय के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट विभाग और नेमस्चेक की ओर से एम्पावरिंग नेक्स्ट जेन इंजीनियर एंड आर्किटेक्चर विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि एआईसीटीई के मेंबर सेक्रेटरी प्रो0 राजीव कुमार शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि पिछले तीन चार सालों से इंजीनियरिंग को लेकर छात्रों का नजरिया बदल रहा है। एक बार फिर से कोर बा्रंच की ओर छात्रों का रूझान हुआ है। कोर ब्रांच की ज्यादातर सीटें भर जा रही हैं। नई तकनीकी और टूल्स को सीखकर सिविल सहित अन्य कोर ब्रांच में छात्र अपना बेहतर भविष्य बना सकता है। उन्होंने कोर इंजीनियरिंग को बढ़ावा देने के लिए एआईसीटीई की ओर से उठाये गये कदम के बारे में भी बताया। कहा कि कोर इंजीनिरिंग के छात्रों को फेलोशिप दी जा रही है। छात्रों के लिए भी फेलोशिप जल्द शुरू किया जाएगा। कई अन्य योजनाएं भी हैं। जिससे छात्रों को काफी फायदा होगा।
डीन टेªनिंग एंड प्लेसमेंट प्रो0 नीलम श्रीवास्तव ने कहा कि सिविल इंजीनियरिंग का क्षेत्र काफी विस्तृत है। इसमें अपार संभावनाएं हैं। छात्रों को सिविल इंजीनिरिंग में नई तकनीकी का प्रयोग करने की जरूरत है। जिससे नवाचार के साथ ही स्मार्ट तरीके से काम को किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट विभाग अपने छात्रों को आगे बढ़ने के लिए तमाम अवसर प्रदान कर रहा है। सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज के निदेशक प्रो0 वीरेंद्र पाठक ने कहा कि किसी भी देश की बनावट में सिविल इंजीनियर का अहम योगदान होता है। ऐसे में नई तकनीकी के प्रयोग से छात्र इस क्षेत्र में काफी कुछ हासिल कर सकता है। वित्त अधिकारी केशव सिंह ने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें संभावनाओं की कभी कमी नहीं होने वाली है। बस छात्रों को खुद को अपडेट रखना होगा।
इसके बाद अलग-अलग सत्र हुए। जिसमें उद्योग के विशेषज्ञ आरआईसीएस इंडिया के पूर्व एमडी निमिष गुप्ता, ने अपने अनुभव साझा किये। कहा कि कोई भी काम पूरे मन और ईमानदारी से किया जाये तो सफलता जरूर मिलती है। कहा कि सिविल इंजीनिर के लिए धूप, धूल और धक्का तो मिलता है मगर जो टिका रहा तो सफलता कदम चूंमती है। इसके बाद नेम्सचेक के अधिकारियों ने कंपनी सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी साझा की। वहीं सिविल इंजीनियरिंग और आर्किटेक्ट में नई तकनीकी की भूमिका विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ। जिसमें प्रो0 सुभ्रजीत बैनर्जी, प्रो0 जेबी श्रीवास्तव, अविनाश घई, देवेश मणि त्रिपाठी, दीपांकर भट्टाचार्य और प्रो0 नीलम श्रीवास्तव ने छात्रों को सिविल इंजीनियरिंग के विभिन्न आयामों और नई तकनीकी के बारे में बताया। इस मौके पर कंपनी के एमडी निर्मल्य चटर्जी ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर अपने अनुभव साझा किये। इस दौरान प्रति कुलपति प्रो0 राजीव कुमार, प्रतिभा शुक्ला, शिशिर द्विवेदी, हरीश चंद्रा, कंपनी के शरद कदम, मानसी सहित काफी संख्या शिक्षक, छात्र आदि लोग उपस्थित रहे। संचालन श्वेता ने किया। जबकि धन्यवाद शंकर पित्ता ने दिया.
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