FAREED WARSI (BREAKING NEWS EXPRESS )
अगले महीने नवंबर में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाली बार्डर-गवास्कर ट्राफी खेलने के लिए कंगारूओं के देश रवाना होने वाली है। मालूम हो कि इस बार्डर-गवास्कर ट्राफी की तुलना ऑस्ट्रेलिया के पूर्व और वर्तमान खिलाड़ी एषेज ट्राफी से कर रहे हैं। जो कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैड़ के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज की ट्राफी का नाम है। ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने घरेलू मैदानों में टीम इंडिया को हराकर बार्डर-गवास्कर ट्राफी पर कब्जा करने के लिए काफी बेचैन नजर आ रही है। और इस बेचैनी का सबसे बड़ा कारण यह है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम पिछले दो बार से टीम इंडिया के हाथों बार्डर-गवास्कर ट्राफी हारती आ रही हैं। बहरहाल, टीम इंडिया ने बार्डर-गवास्कर ट्राफी खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले अपने देश में पड़ोसी देश बांग्लादेष के साथ दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। बीते दिनों पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश तख्तापलट, खूरेजीं और राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में बांग्लादेश की क्रिकेट टीम का भारत आना वहां के क्रिकेट के भविश्य के लिए सुखद पहलू है। हालांकि अपने देश में बांग्लादेश की क्रिकेट टीम के आने पर कुछ राजनीति भी हुई, लेकिन उस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच दो टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम मे खेला गया। और भारत ने यह टेस्ट 280 रनों के बड़े अंतराल से जीत कर बांग्लादेश को पटकनी दी। टीम इंडिया की इस जीत में अपने घरेलू मैदान में बल्ले और गेंद से शानदार प्रदर्शन करने वाले रविचंद्रन अष्विन ने बड़ी भूमिका निभाई और जीत के असली हीरो देष का यह ऑफ स्पिनर ही रहा। वैसे जहां तक अष्विन का सवाल है तो पिछले एक दशक से भी अधिक समय से भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में संकट मोचन की भूमिका निभाने वाले अष्विन ने यह साबित कर दिया कि बढ़ती उम्र का उन पर कोई असर नहीं है। मालूम हो कि 38 साल के अष्विन ने भारत की पहली पारी में जब टीम इंडिया गहरे संकट में थी तो उन्होंने रविद्र जडेजा के साथ मिल कर टीम को मुष्किलों से निकाल कर ऐसे स्कोर तक पहुंचाया, जहां से बांग्लादेश पर हार का शिकंजा कसा जा सके। पहली पारी में शतक लगाने वाले अष्विन ने बांग्लादेश की दूसरी पारी में छह विकेट लेकर कर अपने आलराउडर खेल का प्रदर्शन कर लोगों की वाहवाही लूटी। अपने 101 वें टेस्ट मैंच में अष्विन ने टेस्ट मैच में पांच विकेट लेने का कारनामा 37वीं बार कर ऑस्ट्रेलिया के महान लेग स्पिनर षेन वार्न को पीछे छोड़ कर इस तालिका में अपना नाम दूसरी पायदान में दर्ज कराया। टेस्ट क्रिकेट में अष्विन से ज्यादा पांच विकेट लेने का कारनामा श्रीलंका के जादुई ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन 133 टेस्ट मैचों में 67 बार कर चुके हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक शतक के साथ पांच विकेट लेने का कारनामा करने के मामले में अष्विन दूसरे नंबर पर हैं और चार बार अष्विन शतक लगाने के साथ पांच या उससे ज्यादा विकेट ले चुके हैं। और पहले नंबर पर इंग्लैड के महान आलराडर रहे इयान बॉथम का नाम है जो पांच बार शतक लगाने के साथ पांच या उससे ज्यादा विकेट ले चुके हैं। वहीं इधर टीम इंडिया ने कानपुर के ग्रीन पार्क में हुए सीरीज के दूसरे मैच में बांग्लादेश को सात विकेट से हराकर इतिहास रच दिया। भारत ने घरेलू मैदान पर लगातार 18 टेस्ट में जीत हासिल कर ली। टीम इंडिया ने कानपुर टेस्ट जीतकर वर्ल्ड टेस्ट चैपियनशिप के फ़ाइनल का रास्ता भी आसान बना लिया। भारत ने 11 में से 8 मैचों में जीत हासिल की है। भारत को अब 98 प्वाइंट और 74.2 प्रतिषत अंक हासिल हो गए हैं।
वहीं इससे पूर्व टीम इंडिया ने बांग्लादेश को चेन्नई टेस्ट हराकर कर टेस्ट क्रिकेट में जो बड़ी उपलब्धि हासिल की, वह निसंदेह भारत के टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में मील के पत्थर कुछ कम नहीं हैं। विदित हो कि टीम इंडिया ने बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई टेस्ट जीत कर टेस्ट मैचों में हार से ज्यादा अब जीत हासिल करने का गौरव हासिल कर लिया। चेन्नई टेस्ट भारत का 580 वां टेस्ट मैंच था। और भारत 179 टेस्ट में जीत हासिल कर 178 मैंच हारने के आंकडे को पीछे छोड़ दिया। कानपुर टेस्ट जीत कर टीम इंडिया 581 टेस्ट मैचों में 180 टेस्ट मैंच अब तक जीत चुकी है। इस दौरान 222 टेस्ट ड्रा रहे हैं और एक टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 1987 में चेन्नई में ही ट्राई हुआ था। इस अंक तालिका में भारत से ऊपर पाकिस्तान, द अफ्रीका, इंग्लैड हैं और ऑस्ट्रेलिया पहले स्थान पर है। जिसने 866 टेस्ट मैचों में सर्वाधिक 414 जीते हैं, 232 टेस्ट मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा है। दो टेस्ट ट्राई हुए हैं और 218 टेस्ट मैंच ड्रा रहे हैं।
जहां तक टीम इंडिया का सवाल है तांे इससे पहले तक टेस्ट क्रिकेट से इतर हमने एक दिवसीस मैचों और टी-20 मैचों के दो-दो बार विष्व कप जीते हैं। एक दिवसीय मैचों का अगर रिकार्ड देखे तो टीम इंडिया ने 559 एक दिवसीय मैच जीते हैं और 445 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है, वहीं टी-20 की अगर बात की जाए तो टीम इंडिया ने 154 मैंच जीते हैं और 69 मैंचों मे उसे हार का मुंह देखना पड़ा है। पर चेन्नई टेस्ट से पहले तक टीम इंडिया टेस्ट मैचों में हार के मुकाबले जीत के मामले में पीछे थी। लेकिन अब इस मामले में भी आगे निकल गई है। वहीं अगर भारत के टेस्ट क्रिकेट की अगर बात करें तो भारत का टेस्ट क्रिकेट का सफर 1933 में देश के पहले कप्तान सीके नायडू के नेतृत्व में शुरू हुआ था। और अब तक के अपने 91 साल के इस सफर में भारत को अब यह उपलब्धि हासिल हुई। टेस्ट क्रिकेट में एक समय ऐसा भी था, जब टीम इंडिया को अपनी हार के लिए जाना जाता था। जैसे इन दिनों जो बांग्लादेश का हाल है, वहीं हाल कभी हमारा भी हुआ करता था। तब जीत हमारे लिए दुर्लभ हुआ करती थी। इस दौरान अगर कोई टेस्ट मैंच ड्रा हो जाता था, तो टीम के कप्तान और टीम का खुशी का ठिकाना नहीं रहता था। हालांकि टीम इंडिया में प्रारंभ से एक से एक बढ़ कर एक दिग्गज खिलाड़ी हुए जिन्होंने अपना और अपने देश का नाम रोशन किया। जिस वक्त किसी को उम्मीद नहीं थी तो टीम इंडिया ने 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में विश्व कप जीत कर दुनिया में तहलका मचा दिया। टीम इंडिया ने 2007 में पहली बार हुए टी-20 के विश्व कप को एमएस धोनी के नेतृत्व में जीत कर यह बताया दिया कि भविष्य में हम क्या करने वाले हैं। भारत का क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई दुनिया के क्रिकेट खेलने वाले देशों में सबसे अमीर बोर्ड होने का तमगा कई दशकों पहले ही हासिल कर चुका था। जय शाह के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी आईसीसी का चैयरमैन बनने से पहले चार और भारतीय जगमोहन डालमिया,षरद पवार, श्रीनिवासन और षषांक मनोहर जैसे दिग्गज बीसीसीआई का अध्यक्ष बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के चैयरमैन रह चुके हैं। जय शाह पांचवे चैयरमैन है। जो यह बताता कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में भारत की ही धाक रही है। वहीं दूसरी ओर टीवी पर क्रिकेट का प्रसारण और क्रिकेट को व्यवसायिक बनाने से लेकर आईपीएल जैसी प्रतियोगिता का आगाज कर भारत ने सारी दुनिया में क्रिकेट को दूसरे अन्य खेलों के मुकाबले में कहीं अधिक लोकप्रिय बना दिया। आईपीएल ने भारत के साथ-साथ दुनिया के क्रिकेट खेलने वाले देशों में खिलाड़ियों के बीच गरीबी और अमीरी के अंतर को पाट दिया। आज भारत में प्रतिभावान खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं हैं, यही कारण है कि क्रिकेट के तीनों प्रारूपों टेस्ट मैचों, एक दिवसीय मैचों और टी-20 के मैचों में न सिर्फ अलग-अलग टीमें हैं, बल्कि हर मैचों के लिए अलग-अलग पेशेवर खिलाड़ी भी हैं। जो सिर्फ बड़े शहरों से ही नहीं निकल कर आ रहे हैं, बल्कि छोटे-छोट शहरों निकल कर सारी दुनिया में छाने का काम कर रहे हैं। कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि भारत ने अपने साथ-साथ दुनिया के क्रिकेट की दिशा और दशा ही बदल दी। लेकिन इतना सबकुछ होते हुए टेस्ट मैंचों में जीत से ज्यादा हार का आंकड़ा कहीं न कहीं हम भारतीयों को कचोटता था। लेकिन जब पिछले एक दशक से टीम इंडिया ने टेस्ट मैंचों में घरेलू मैदानों से लेकर विदेशों में जब जीत का सिलसिला प्रारंभ किया तो हार और जीत के बीच का अंतर सिमटने लगा। जो चेन्नई टेस्ट के बाद तो हार का आंकड़ा जीत के आंकड़े से पीछे रह गया। जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। जिसके लिए कप्तान रोहित, टीम और भारतीय क्रिकेट की प्रशंसा की जानी चाहिए।
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