धर्मेंद्र सिंह
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पिछले 15 दिनों में 2 बार अस्पताल में बीमारी के चलते भर्ती हो चुके है। उन्हें बेहोशी की हालत में दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहाँ उपचार के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था, लेकिन अचानक वो फिर बीमार हो गए। इलाज के लिए उन्हें मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ अस्पताल के निदेशक और कार्डियोलॉजी हेड डॉक्टर आर. के. जसवाल की निगरानी में सभी जरुरी जांचें कराई गयी। जाँच रिपोर्ट में वह लेप्टोस्पायरोसिस नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित पाए गए ,। उन्हें डॉक्टर की निगरानी में एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही है।उनकी हालत स्थिर है. डॉक्टर आर .के. जसवाल के मुताविक लेप्टोस्पायरोसिस एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है. जो पालतू जानवरों ,गोदाम में रहने वाले सफ़ेद चूहों और खेत में पाए जाने वाले जानवरों के मूत्र ,के संपर्क में आने की वजह से होता है।इसे रैट फीवर के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि समय पर यदि इसका इलाज शुरू कर दिया जाए तो बीमारी पर कण्ट्रोल कर लिया जाता है. अन्यथा इस रोग से पीड़ित का लिवर और किडनी तक डैमेज हो सकता है।
आजकल अधिकांश घरों में कुत्ते, बिल्ली ,सफ़ेद चूहे पालने की होड़ सी लग गयी है। बड़ी -बड़ी चमचमाती कारों में विदेशी नस्ल के कुत्ते शीशे से बाहर की ओर झांकते दिखाई देते है। जानवरों से प्यार करिये लेकिन इनसे सतर्क भी रहिये। साफ़ -सफाई का विशेष ध्यान रखिये ताकि आप जीवाणु जनित रोगों के संपर्क में न आ सकें। वैसे भी धार्मिक , ज्योतिष और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कुत्ता पालना शुभ माना जाता है ,आदमी के अपेक्षा यह अधिक बफादार भी होता है फिर भी आपको अपनी हर तरह की सुरक्षा तो करनी ही होगी। खैर ये विषय फिर कभी…
डॉक्टर जसवाल के मुताविक यह बीमारी दक्षिण भारत में ज्यादा देखने को मिलती है। अभी भी पूरे देश में इस तरह की बीमारी के लक्षण बहुत कम पाए जाते है। उन्होंने बताया कि लेप्टोस्पायरोसिस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली बीमारी है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है। लेप्टोस्पायरोसिस चूहे के मूत्र की वजह से फैलती है। अगर उनका मूत्र पानी में या खाने में चला जाए तो उस वजह से यह बीमारी हो सकती है। अगर किसी जानवर में यह कीटाणु है और आप उसे हाथ लगते हैं या उसके मुंह के ज़रिये भी आप इसका शिकार हो सकते हैं। अगर आप नॉन वेज खा रहे हैं अगर उसके टिशू के अंदर लेप्टोस्पायरोसिस है तब भी आप इसके शिकार हो सकते हैं। गंभीर अवस्था होने पर इससे सांस से जुड़ी समस्या हो सकती है। दिल, किड़नी व लिवर भी डैमेज हो सकते हैं। इससे मौत होने की संभावनाएं भी रहती हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के लक्षण
तेज बुखार और सिरदर्द
मांसपेशियों में क्रैम्प्स
ठंड लगना
मांसपेशियों में बहुत ज़्यादा दर्द होना
पेट में दर्द
स्किन पर लाल दाग होना
पीलिया होना
खांसी का आना
क्या है लेप्टोस्पायरोसिस?
कैसे फैलता है लेप्टोस्पायरोसिस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ एक जीवाणुजनित रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। मनुष्य संक्रमित जानवरों के मूत्र या मूत्र-दूषित वातावरण के सीधे संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं। जीवाणु त्वचा पर कट या खरोंच के माध्यम से या मुंह, नाक और आंखों की श्लेष्म झिल्ली के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं।
लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज और बचाव के उपाय
लेप्टोस्पायरोसिस से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका है, दूषित पानी से दूर रहें। अपना खाना ऐसे जगह पर रखें जहां चूहे न आएं। खाना हमेशा ढहकर रखें। जहां तक हो सके जानवरों के यूरिन से दूरी बनाएं रखें। नदी-झरने में जानवर बहुत ज़्यादा तैरते हैं या नहाते हैं इससे आप इन्फेक्टेड हो सकते हैं इसलिए उसमें न नहाएं। जहां बाढ़ आयी हों वहां आपको बहुत ज़्यादा बचाव करने की ज़रूरत होती है। इस बीमारी में आपको कभी भी खुद से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। अगर आपको कोई लक्षण महसूस हो रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें और उनसे परामर्श लेकर ही इलाज करवाएं।