ओलंपिक्स से चेस चैंपियनशिप तक, भारत ने रचा इतिहास
साल 2024 भारतीय खेल जगत के लिए एक यादगार साल बनकर उभरा। जहां क्रिकेट से परे भारत ने शतरंज, हॉकी, शूटिंग और पैरालंपिक्स जैसे खेलों में अपनी धाक जमाई। इस साल भारतीय एथलीट्स ने पेरिस ओलंपिक्स से लेकर टी20 वर्ल्ड कप और एशियाई हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी तक, हर मंच पर अपना परचम लहराया।
क्रिकेट में टी20 वर्ल्ड कप का खिताब
भारत ने 17 साल बाद रोहित शर्मा की कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप जीता। अमेरिका और वेस्टइंडीज की मेजबानी में हुए इस टूर्नामेंट के फाइनल में भारत ने साउथ अफ्रीका को रोमांचक मुकाबले में 7 रन से हराया। 2023 वनडे वर्ल्ड कप में हार के बाद यह जीत भारतीय फैंस के लिए बड़ी राहत लेकर आई।
पेरिस ओलंपिक्स में 6 मेडल का प्रदर्शन
पेरिस ओलंपिक्स में भारत ने 6 पदक जीते। नीरज चोपड़ा को इस बार सिल्वर से संतोष करना पड़ा, जबकि मनु भाकर ने शूटिंग में 2 ब्रॉन्ज मेडल जीतकर सभी का ध्यान खींचा। भारत ने शूटिंग, एथलेटिक्स, हॉकी और कुश्ती में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन मेडल की संख्या को दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंचा पाया।
पैरालंपिक्स में ऐतिहासिक प्रदर्शन
पैरालंपिक्स में भारत का प्रदर्शन अब तक का सर्वश्रेष्ठ रहा। भारतीय एथलीट्स ने कुल 29 मेडल जीते, जिनमें 17 मेडल एथलेटिक्स में शामिल थे। बैडमिंटन, शूटिंग, आर्चरी और जूडो में भी भारत ने परचम लहराया। यह प्रदर्शन भारत की खेल क्षमता में नई ऊर्जा का परिचय था।
आर्चरी वर्ल्ड कप में 15 मेडल
अप्रैल में आयोजित आर्चरी वर्ल्ड कप में भारतीय तीरंदाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 7 गोल्ड, 5 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल जीते। हालांकि, एकल मुकाबलों में भारतीय खिलाड़ियों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन टीम स्पर्धाओं में उन्होंने धाक जमाई।
शतरंज में सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन
18 वर्षीय डी गुकेश ने शतरंज की दुनिया में इतिहास रच दिया। उन्होंने चीन के डिंग लीरेन को हराकर सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। यह भारत के लिए गर्व का पल था।
महिलाओं ने जीता एशियाई हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी
भारतीय महिला हॉकी टीम ने एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में चीन को 1-0 से हराकर तीसरी बार यह खिताब अपने नाम किया। टीम पूरे टूर्नामेंट में अजेय रही और शानदार खेल का प्रदर्शन किया।
नए युग की शुरुआत
साल 2024 ने साबित किया कि भारत केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है। हॉकी, शतरंज, शूटिंग, पैरालंपिक्स और अन्य खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने नया अध्याय लिखा। यह साल खेल जगत में भारत के लिए एक सुनहरे युग की शुरुआत का प्रतीक है।