रुद्रपुर में नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के विशेषज्ञों द्वारा कार्डियक सर्जरी ओपीडी का आयोजन
4 साल की बच्ची को नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में जटिल सर्जरी द्वारा बचाया गया, ऐसे में जागरूकता के उद्देश्य से लगी ओपीडी
रुद्रपुर। चार साल की छोटी सी बच्ची, जो जीवन और मौत के बीच जूझ रही थी, उसे नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जटिल ओपन हार्ट सर्जरी के माध्यम से नया जीवन दिया। रुद्रपुर की इस बच्ची के दिल में जन्म से ही छेद (वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट) था। जिस कारण उसके माता-पिता कई दिनों से बच्ची के इलाज के लिए भटक रहे थे। फिर रुद्रपुर के ही एक डॉक्टर ने उन्हें नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में इलाज कराने की सलाह दी। इसके बाद नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक जटिल सर्जरी के द्वारा बच्ची को स्वस्थ किया। यह कहानी कई लोगों के जागरूकता के लिए भी जरूरी है, जिससे वे पहले से ही सचेत हो सकें। इन्हीं सब मुद्दों को ध्यान में रखते हुए रुद्रपुर में ओपीडी का आयोजन किया गया। यह आयोजन कात्यायनी मेडीकल सेंटर, रुद्रपुर में महीने के चौथे गुरुवार को दोपहर 12:00 बजे से लेकर दोपहर 02:00 तक आयोजित की गई। ओपीडी में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को जांच एवं उचित परामर्श दिए।
डॉ. रचित सक्सेना ने बताया कि, जब बच्ची को हॉस्पिटल लाया गया फिर उसकी प्रारंभिक जांच की गई, जिसमें पता चला कि वेंट्रीकुलर सेप्टल डिफेक्ट को ठीक करने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी। परंतु बच्ची के माता पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, जिसके लिए नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने उनकी पूरी आर्थिक मदद की और बच्ची का इलाज शुरू हुआ उसे सांस लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, उसके श्वसन पथ में संक्रमण हो गया था जिसके लिए एंटीबायोटिक की आवश्यकता होती है। बिना सर्जरी के यह बीमारी आमतौर पर 5-8 साल की उम्र तक असाध्य हो जाती है और बच्चों की आमतौर पर 15-18 साल की उम्र तक मृत्यु हो जाती है। ऐसे में ओपन हार्ट सर्जरी शुरू की गई, जो 5 से 6 घंटे चली, इसमें वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट को बंद करना पड़ा, जिससे सर्जरी अच्छी तरह से हुई। सर्जरी के बाद मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा और 3 दिनों तक आईसीयू में देखभाल की गई इसके बाद बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।
बच्ची ठीक होने के बाद उसके माता-पिता ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वे सभी जगह इलाज के लिए दौड़-दौड़ के थक चुके थे और उन्हें कहीं से भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। सौभाग्य से उनकी मुलाकात के.एम.सी अस्पताल रुद्रपुर की वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि जेवियर से हुई, जिन्होंने इस बीमारी का पता लगाया और इसके लिए इलाज हेतु नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के विशेषज्ञ डॉ. रचित सक्सेना के पास भेजा, आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने उनकी पूरी मदद की और अंत में बच्ची को स्वस्थ किया। बच्ची को नया जीवन मिलने के लिए उन्होंने नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का आभार जताया।