इस अवसर पर राज्यपाल जी ने कहा कि राजभवन में समय-समय पर आयोजित विविध कार्यक्रमों का उद्देश्य राजभवन कार्मिकों एवं अध्यासितगणों के जीवन को स्वस्थ बनाना है। स्वस्थ शरीर में ही सकारात्मक विचार आते हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में कार्यरत है, उसे अपने कार्य में सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहिए, क्योंकि इसी से विकसित भारत के सपने को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीखना एक आजीवन प्रक्रिया है। हमें अपने कार्यों से समाज को कुछ देने का प्रयास करना चाहिए। हम अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करने की कोशिश करें।
राज्यपाल जी ने कहा कि हमें ईश्वर द्वारा प्रदत्त वस्तुओं का सदुपयोग तथा उससे संतोष करना चाहिए। हर व्यक्ति अपने निर्धारित कार्यों को कर्तव्यपरायणता एवं पूर्ण जिम्मेदारी से करे। उन्होंने सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा, संस्कार, पौष्टिक आहार अवश्य दें। बच्चे अपने माता-पिता से ही सीखते हैं।
राज्यपाल ने उपस्थित राजभवन कार्मिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन इस पर विचार करें कि उनके द्वारा आज कौन सा अच्छा कार्य किया गया है और यदि कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारने का प्रयास करें।
इस अवसर पर उन्होंने मानव जीवन की विशेषता पर बल देते हुए कहा कि परमात्मा ने सृष्टि की रक्षा के लिए हमें मनुष्य रूप में जन्म दिया है और उनकी अपेक्षा है कि हम सकारात्मक कार्य करें। उन्होंने समाज के प्रति जिम्मेदारी का बोध कराते हुए कहा कि समाज में कई महान लोग ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने जीवन भर अपने भीतर सुधार किया और समाज में सकारात्मक योगदान दिया। सृष्टि को हरा-भरा रखना और अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने सभी को अपने कार्यों में निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण के साथ योगदान देने की बात कही और सभी के सामूहिक प्रयासों से भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे, विशेष सचिव राज्यपाल श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल अशोक देसाई, विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल0 जानी समेत राजभवन के समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे।