जाग रहा है जन गण मन, निश्चित होगा परिवर्तन…
जाग रहा है जन गण मन, निश्चित होगा परिवर्तन… समझ से परे कर्नाटक पर संघ गतिविधियों पर रोक सुशील कुमार 'नवीन' सन 2000 में अभिषेक बच्चन और करीना कपूर स्टारर रिफ्यूजी फिल्म आई थी। फिल्म के एक गीत की पंक्तियां जब जब भी सुनाई पड़ती है तो एक अलग ही अनुभव होता है। गीत है - पंछी, नदिया, पवन के झोंके, सरहद न कोई इन्हें रोके। यह गीत केवल प्रकृति की आज़ादी की नहीं, बल्कि विचारों की स्वतंत्रता की भी बात करता है। गीत से इतर अब सीधे मुद्दे पर आते हैं। गुरुवार को कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सरकारी स्कूलों और कॉलेज परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों पर रोके लगाने के उद्देश्य को लेकर नियम लाने का फैसला किया है। कैबिनेट द्वारा आरएसएस पर रोक लगाने की इस कार्रवाई ने देशभर में बहस छेड़ दी है। शाखा या संघ की अन्य गतिविधि संचलन आदि में ऐसा क्या होता है, जिसके लिए कर्नाटक सरकार को इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा। इस पर भी विचार करना जरूरी है। संघ स्वयंसेवकों की मानें तो आरएसएस की शाखा और संचलन अनुशासन और सेवा के विद्यालय हैं। आमतौर पर लगने वाली एक घंटे की नियमित शाखाओं के लिए किसी को निमंत्रण नहीं दिया जाता। न ही कोई दबाव डाला जाता है। राष्ट्र हित की सोच रखने वाले स्वयंसेवक शाखा में समय पर उपस्थित होते हैं और प्रार्थना, योग, खेल और राष्ट्रवंदना के साथ दिन की शुरुआत करते हैं। शाखा में जो प्रार्थना गाई जाती है कि उसकी प्रथम पंक्ति ही सार स्वरूप राष्ट्र के प्रति स्वंयसेवकों की भावना को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है। नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखवं वर्धितोऽहम्, महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते। इसका अर्थ है कि हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है। हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ। विरोध का सुर रखने वाले इसमें कोई मीन मेंख निकालकर तो देखें। शाखा का दूसरा नियमित कार्यक्रम सुभाषित तो राष्ट्र समभाव को और भी स्पष्ट कर देता है। यह सभी के अंदर एकत्व की भावना को मजबूती देने का कार्य करता है। हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिन्दू: पतितो भवेत्, मम दीक्षा हिन्दू रक्षा, मम मंत्र: समानता। इसका अर्थ है कि सभी हिंदू एक दूसरे के भाई-बहन (सहोदर) हैं, कोई भी हिंदू पतित नहीं हो सकता। हिन्दू धर्म की रक्षा मेरा धर्म है और समानता मेरा मंत्र है। सामूहिक गीतों की बात हो तो सामाजिक सद्भाव, सामाजिक समरसता, सामाजिक एकता से ये ओतप्रोत होते हैं। सुनने मात्र से राष्ट्र के प्रति नतमस्तक होने को सब मजबूर हो जाते हैं। हम करें राष्ट्र आराधना,तन से, मन से, धन से, तन-मन-धन जीवन से, हम करें राष्ट्र आराधना। ...
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