सावन-भादौ एक मात्र संरचनाएं, बुंदेलखंड में और कही नहीं ऐसा टॉवर टीकमगढ़. 500 साल पहले बुंदेला राजाओं ने जब ओरछा को अपनी राजधानी बनाया तो उसे अत्याधुनिक तरीके से बसाया था। राम राजा लोक का काम शुरू होने पर अब उस समय की सर्व सुविधा युक्त संरचनाएं सामने आ रही है। 500 साल पहले ओरछा में गर्मी से बचने के लिए एयर कंडिशन रूम तैयार किए गए थे। राम राजा मंदिर प्रांगण में बने सावन.भादौ एयर कूलिंग सिस्टम के टावर है। यहां पर नहाने के लिए फाउंटेन भी लगाए गए थे। राम राजा लोक के लिए सावन.भादौ टॉवर के पास खुदाई में नीचे एक अत्याधुनिक कक्ष निकला है। यह कक्ष अब भी बेहद खूबसूरत है। इस कक्ष में नहाने के लिए फाउंटेन की सुविधा भी देखने को मिली है। इस कक्ष में प्रवेश करते ही गर्मी काफूर हो जाती है। पर्यटन विभाग के उपयंत्री पीयूष वाजपेयी का कहना है कि यह उस समय का बेहतर एयर कूलिंग सिस्टम है। सावन.भादौ वास्तव में उसी सिस्टम के लिए तैयार किए गए टॉवर है। उनका कहना था कि यहां और बाहर के तापमान में 15 डिग्री से अधिक का अंतर है। मई में भी यहां सर्दी का अहसास होता है। यह संरचना 500 साल पुरानी और उस समय की बेहतर इंजीनियरिंग का उदाहरण है। उनका कहना था कि यह देश की एक मात्र संरचना है। इस प्रकार की संरचनाएं ईरान में पाई जाती है। वहां पर गर्मी अधिक होने से बचाव के लिए इस प्रकार की निर्माण किए जाते थे। ईरान से आई होगी तकनीक उपयंत्री वाजपेयी का कहना हैए कि ओरछा के तत्कालीन नरेश वीर सिंह जू देव के मुगलों से अच्छे संबंध बताए जाते थे। इसकी के चलते यहां पर जहांगीर महल का निर्माण कराया गया था। ऐसे में यह तकनीक ईरान से आई होगी। मुगल ईरान से ही देश में आए थे। विदित हो कि अब सावन.भादौ पिलर को लेकर किंवदंती थी कि सावन.भादौ के माह में यह पिलर आपस में जुड़ जाते थे। लोग इन पिलर को श्रद्धा से देखते थे। पूरे में फाउंटेन का जाल उपयंत्री वाजपेयी ने बताया कि इस पूरे परिसर में फाउंटेन का जाल है। सावन.भादौ पिलर के नीचे मिले कक्ष में भी फाउंटेन के अंश मिले है। इसके साथ ही चंदन के कटोरा बाग में भी एक दर्जन फाउंटेन मिले है। यहां पर टेराकोटा की पाइप लाइन का उपयोग कर फव्वारे चलाए जाते थे। महल में भी ऐसी संरचना सावन भादौ के नीचे बने कक्ष को लेकर पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर घनश्याम बाथम का कहना है कि ऐसी ही संरचना राज महल में भी है। यहां पर 25 फीट ऊंचे टॉवर से महल के अंदर हवा आती थी। राजा के कक्ष में यह सुविधा है। बाथम का कहना है की इन टॉवर में चारों ओर छिद्र छोड़े जाते थेए ऐसे में किसी भी दिशा से हवा चलने पर इन टॉवर से नीचे जाती थी। विदित हो कि एक वर्ष पूर्व राजमहल परिसर की खुदाई में व्यवस्थित कॉलोनियों के अवशेष मिले थे।