नई दिल्ली-कनाडा की डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के शोध में दावा किया गया है कि प्रशिक्षित श्वान (Dog) इंसान की सांसों को सूंघकर तनाव की शुरुआत की जानकारी देंगे। इससे तनाव, अवसाद के इलाज में काफी आसानी हो जाएगी। ओटावा. किसी इंसान में तनाव की शुरुआत का दूसरों के लिए पता लगाना मुश्किल है। कनाडा (Canada) के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने ऐसा तरीका खोजा है, जिससे यह संभव हो सकता है। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि विशेष रूप से प्रशिक्षित श्वान इंसान की सांसों को सूंघकर उसमें तनाव (Depression) की शुरुआत को पहचान सकते हैं। वैज्ञानिक अब कोशिश करेंगे कि बुजुर्गों के साथ रहने वाले श्वानों को खास तौर से इसके लिए प्रशिक्षित किया जाए, जिससे तनाव की पहचान समय पर की जा सके। कनाडा की डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के फ्रंटियर्स इन एलर्जी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक पोस्ट ट्रूमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (पीटीएसडी) के लक्षणों के साथ संघर्ष कर रहे लोगों को श्वानों की इस क्षमता का लाभ मिल सकेगा। शोध में दो प्रतिभागियों ने फेस मास्क पहनकर अपनी सांसों के नमूने दिए। एक ने शांत अवस्था में तो दूसरे ने तनाव के अनुभव को याद करते हुए नमूना दिया। क्या पता लगाया शोध में यह पता लगाया गया कि क्या श्वान उन वाष्पशील जैविक पदार्थों को सूंघना सीख सकते हैं, जो पीटीएसडी से संबंधित हैं? इसके लिए 26 मानव प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें 54 फीसदी में पीटीएसडी तनाव (Depression) का स्तर था। नमूनों के अंतर में 90 फीसदी कामयाबी शोध में शामिल लारा किरोजा ने बताया कि 25 प्रशिक्षित श्वानों में से प्रयोग के लिए दो को चुना गया। दोनों तनाव और गैर-तनाव वाली सांस के नमूनों का अंतर करने में 90 फीसदी कामयाब रहे। शोधकर्ताओं का कहना है कि तनाव का शुरुआत में ही पता चलने से इसके निदान में मदद मिल सकती है।