ओबीसी समाज के बड़े लीडर रणबीर गंगवा विशेष रूप से ‘प्रजापति समाज’ में अच्छी पकड़ रखते हैं। गंगवा पिछड़े समुदायों के लिए आवाज़ उठाने के लिए जाने जाते हैं। 34 साल की राजनीतिक यात्रा में इन्होने कैबिनेट मंत्री के पद तक का सफ़र तय किया है। गंगवा ने राजनीति की शुरुआत अपने गाँव गंगवा से की थी, जहाँ उन्होंने पंच का चुनाव जीता था। कृषि प्रगति और ग्रामीण कल्याण सुधार के साथ इन्होंने अपना सारा ध्यान बरवाला निवासियों के मानकों को ऊपर उठाने पर केंद्रित किया है। इन्होंने ग्रामीण समुदायों के लिए विशेषकर कृषि के विकास में बहुत मदद की है। बरवाला में रणबीर गंगवा के नेतृत्व को कृषि सुधारों, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के प्रति उनके समर्पण से पहचाना जा सकता है। उनके काम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिसमें किसानों को सहायता देने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
-प्रियंका सौरभ
बरवाला में रणबीर गंगवा के नेतृत्व को कृषि सुधारों, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के प्रति उनके समर्पण से देखा जा सकता है। इनके काम ने किसानों के समर्थन पर विशेष ध्यान देने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में काफ़ी सुधार किया है। एक सामाजिक कार्यकर्ता और नेता के रूप में ये समुदाय की मदद करने और बरवाला में जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित हैं। ये अपने क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए स्थानीय परियोजनाओं पर काम करते हैं। रणबीर सिंह गंगवा का जन्म 4 मार्च 1964 को हिसार जिले के गंगवा गाँव में हुआ। इनके पिता का नाम राजाराम और माता का नाम केसर देवी है। पत्नी अंगूरी देवी से इनकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई थी। इनकी दो बेटे सुरेंद्र गंगवा और संजीव गंगवा हैं। 34 साल की राजनीतिक यात्रा में इन्होने कैबिनेट मंत्री के पद तक का ऐतिहासिक सफ़र तय किया है।
गंगवा ने राजनीति की शुरुआत अपने गाँव गंगवा से की थी, जहाँ उन्होंने पंच का चुनाव जीता था। इन्होंने हिसार जिले की बरवाला विधानसभा क्षेत्र में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के ‘कमल खिलाने’ का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। रणबीर गंगवा ने 1990 में 26 साल की उम्र में अपने गाँव में पंच का चुनाव लड़ा था, जहाँ से उन्होंने राजनीतिक पारी की शुरुआत की। 2024 में बीजेपी ने उन्हें नलवा की बजाय बरवाला विधानसभा से उम्मीदवार बनाया, जहाँ उन्होंने पहली बार पार्टी को जीत दिलाई। इस ऐतिहासिक जीत में उनकी इस यात्रा में कड़ी मेहनत और लगातार संघर्ष का सामना करने की उनकी क्षमता विजय गान करती नज़र आती है। पिछले कुछ वर्षों में, 60 वर्षीय रणबीर गंगवा हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा में पिछड़े वर्ग का एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सिंह सैनी मंत्रिमंडल में इनको सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और सार्वजनिक निर्माण (भवन और सड़कें) विभाग दिया गया है।
रणबीर गंगवा वर्ष 2000 में लम्बी राजनीति के सफ़र में शामिल हुए जब वह हिसार ज़िला परिषद के लिए चुने गए। 2005 में वे पुनः निर्वाचित हुए और इसके उपाध्यक्ष बने। चार साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने इनको इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के टिकट पर नलवा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा। हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री संपत सिंह चुनाव जीत गए। बाद में, गंगवा 2010 में आईएनएलडी के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए। 2014 में, पार्टी ने इनको फिर से नलवा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा और इन्होंने संपत सिंह और पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन को हराया। 2018 में इनेलो के विभाजन के बाद, गंगवा 2019 के चुनावों से पहले भाजपा में शामिल हो गए। ये नलवा से चुने गए और बाद में विधानसभा में डिप्टी स्पीकर बने। इस बार ये फिर से विधानसभा के लिए चुने गए।
बरवाला निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधायिका के सदस्य रणबीर सिंह गंगवा बरवाला में बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा को बदलने के लिए समर्पित हैं और अपने नेतृत्व कौशल का उपयोग करके ख़ुद को निर्वाचन क्षेत्र में एक सम्मानित व्यक्ति और ओजस्वी नेता के रूप में स्थापित कर रहे हैं। सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने तथा किसानों, युवाओं और महिलाओं के कल्याण की वकालत करने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता ने इनको समुदाय से सराहना और समर्थन दिलाया है। बरवाला में रणबीर गंगवा के नेतृत्व को कृषि सुधारों, ग्रामीण विकास और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के प्रति इनके समर्पण से पहचाना जा सकता है। इनको काम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिसमें किसानों को सहायता देने पर विशेष ध्यान दिया गया है। रणबीर गंगवा का राजनीतिक जीवन वित्तीय मुद्दों के बारे में पारदर्शिता पर ज़ोर देता है।
इन्होंने 34 साल की राजनीतिक यात्रा में एक साफ-सुथरा रिकॉर्ड बनाए रखा है और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है। इनकी घोषित संपत्ति और देनदारियाँ राजनीतिक नेतृत्व में इनकी ईमानदारी को दर्शाती हैं। इनकी पारदर्शिता का स्तर मतदाताओं को यह विश्वास दिलाता है कि रणबीर गंगवा अपने वित्तीय लेन-देन का स्पष्ट विवरण देने के लिए समर्पित हैं, जो सार्वजनिक सेवा में एक आवश्यक गुण है। इनकी संपत्ति के प्राथमिक स्रोतों में कृषि भूमि, आवासीय संपत्तियाँ और कुछ व्यक्तिगत होल्डिंग्स शामिल हैं, जिनका इनके चुनावी हलफनामों में खुले तौर पर खुलासा किया गया है। कृषि प्रगति और ग्रामीण कल्याण सुधार के साथ-साथ इन्होंने बरवाला निवासियों के मानकों को ऊपर उठाने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया है।इन्होंने ग्रामीण समुदायों, विशेष रूप से कृषि के विकास में बहुत मदद की है। हम खुले तौर पर ये कह सकते है कि हरियाणा के वर्तमान कैबिनेट मंत्री हरियाणा के पिछड़ा वर्ग ही नहीं सम्पूर्ण हरियाणा के विकास में अपने कुशल नेतृत्व के दम पर नए आयाम स्थापित करेंगे।