SIR in West Bengal:ममता बनर्जी ने SIR को बताया “वोटबंदी “तुरंत रोक लगाने की मांग
बनर्जी ने यह भी कहा कि वह चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की जल्दबाजी को समझ नहीं पा रही हैं।
ममता ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर बीजेपी का राजनीतिक हथियार होने का आरोप लगाया।
SIR in West Bengal: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को SIR को वोटबंदी’ करार दिया।साथ ही चुनाव आयोग से SIR प्रक्रिया तत्काल रोकने की मांग की। उन्होंने इसे ‘सुपर इमरजेंसी’ बताया है। बनर्जी ने यह भी कहा कि वह चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की जल्दबाजी को समझ नहीं पा रही हैं।
उत्तर बंगाल में एक प्रशासनिक बैठक में बोलते हुए ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर चुनाव अधिकारियों को व्यस्त रखने का आरोप लगाया ताकि सरकार अगले तीन महीनों तक ठीक से काम न कर सके। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री बनर्जी ने सिलीगुड़ी में पत्रकारों से कहा, “भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार एसआईआर के नाम पर लोगों को परेशान कर रही है। जैसे कुछ करेंसी को चलन से बाहर करना ‘नोटबंदी’ थी। वैसे ही एसआईआर ‘वोटबंदी’ है। यह ‘सुपर इमरजेंसी’ का ही एक और रूप है।”
सीएम ने आरोप लगाया, “चुनाव से ठीक पहले एसआईआर कराने की इतनी जल्दी मुझे समझ नहीं आ रही। निर्वाचन आयोग को यह प्रक्रिया तुरंत बंद करनी चाहिए। वोटर लिस्ट का वेरिफिकेशन दो या तीन महीने में पूरा नहीं हो सकता। इसे जबरन अंजाम दिया जा रहा है।” बनर्जी ने कहा कि BJP एसआईआर के खिलाफ बोलने पर उन्हें जेल भेज सकती है या उनका गला भी काट सकती है।
उन्होंने सरकार से लोगों के मताधिकार पर अंकुश नहीं लगाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) की आलोचना करते हुए इसे एक भूल बताया। उन्होंने कहा कि इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया, “केंद्र सरकार जनता को जीएसटी के नाम पर लूट रही है।”
पश्चिम बंगाल में 23 वर्षों के अंतराल के बाद SIR हो रहा है। राज्य में पिछला एसआईआर 2002 में हुआ था। बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि निर्वाचन आयोग द्वारा शुरू की गई एसआईआर प्रक्रिया से उत्पन्न घबराहट ने कई लोगों को परेशानी में डाल दिया है। बीजेपी ने इस आरोप को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज किया है।
पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने इस प्रक्रिया के खिलाफ कोलकाता में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि अगर एक भी योग्य मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से छूट गया तो केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का गिरना तय है।
ममता ने सीधे तौर पर चुनाव आयोग पर बीजेपी का राजनीतिक हथियार होने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संशोधन अभियान चुनिंदा और दुर्भावनापूर्ण इरादे से चलाया जा रहा है। उन्होंने एसआईआर को विवादास्पद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से जोड़ते हुए कहा कि यह वैध मतदाताओं को डराने और उनके मताधिकार से वंचित करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है।









