लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेशवासियों को कारगिल विजय दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत दुनिया का ऐसा देश है, जिसने कभी भी किसी पर जबरन एकाधिकार करने का कभी प्रयास नहीं किया। बल, बुद्धि, विद्या में सिरमौर रहे भारत ने जबरन एकाधिकार का एक भी उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया है। लेकिन जब भी किसी आक्रांता ने हमारी शान्ति, सद्भावना का दुरूपयोग करने का दुस्साहस किया तो भारत माता के बहादुर जवानों ने सदैव मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करते हुए किसी प्रकार की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। आजादी के बाद हर युद्ध में हमारे बहादुर जवानों ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया है। मुख्यमंत्री जी आज यहां सेन्ट्रल कमाण्ड में कारगिल विजय दिवस के रजत जयन्ती समारोह के अवसर पर सूर्या आॅडिटोरियम में आयोजित वीर सैनिकों तथा वीर नारियों के अभिनन्दन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने स्मृतिका युद्ध स्मारक पर पुष्प गुच्छ अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी तथा आगन्तुक पुस्तिका में अपने हस्ताक्षर अंकित किये। उन्होंने सूर्या आॅडिटोरियम में कारगिल युद्ध के शहीदों की वीर नारियों तथा युद्ध नायकों को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने और भारत को दुनिया की एक बड़ी ताकत बनाने की ओर हम बढ़ रहे हैं, क्योंकि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। हमारे बहादुर जवान दिन-रात, विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं। भारत की परम्परा रही है कि ‘शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्र चिंता प्रवर्तते’ अर्थात शस्त्र से रक्षित राष्ट्र ही शास्त्र चिन्तन के माध्यम से समृद्धि के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है कि यह वर्ष कारगिल विजय दिवस का रजत जयन्ती वर्ष है। हम दुनिया को बता सकते हैं कि युद्ध हम पर थोपा गया था। दुनिया की कोई ताकत या दुश्मन हम पर युद्ध थोप सकता है, लेकिन परिणाम हमारे बहादुर जवान ही तय करेंगे। कारगिल युद्ध में भी यही देखने को मिला था। पाकिस्तान ने घुसपैठ करके छद्म रूप से कारगिल युद्ध को भारत पर थोपने का कार्य किया था। कारगिल युद्ध मई, 1999 में आरम्भ हुआ और 26 जुलाई, 1999 मंे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इस युद्ध को विजय दिवस के रूप में घोषित करते हुए भारत के बहादुर जवानों को नमन किया था। इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना नेे शौर्य एवं पराक्रम का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए सम एवं विषम परिस्थितियों में एक समय सीमा के अन्दर युद्ध के परिणाम को भारत के पक्ष में करते हुए दुनिया के सामने अपने शौर्य और अद्भुत साहस का परचम लहराने का कार्य किया था। दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें इस युद्ध में हस्तक्षेप करना चाहती थी, लेकिन किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना भारत ने इस युद्ध को अपने पक्ष में मोड़ा था। कारगिल युद्ध में उत्तर प्रदेश के कई जवान शहीद हुए। परमवीर चक्र विजेता स्व0 कैप्टन मनोज कुमार पाण्डेय, मेजर रितेश शर्मा, लांस नायक केवलानन्द द्विवेदी, राइफलमैन सुनील जंग जैसे नामों की एक लम्बी श्रृखंला है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। परमवीर चक्र विजेता योगेन्द्र सिंह यादव के शौर्य एवं पराक्रम को कोई नहीं भूल सकता। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार ने नियमों में संशोधन करते हुए कुछ व्यवस्थाएं लागू कीं। राज्य सरकार ने देश की सीमाओं की रक्षा में अपने प्राणों की आहूति देने वाले प्रदेश निवासी सैनिकों के परिजनों को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि तथा परिवार के एक सदस्य को उत्तर प्रदेश शासन की सेवा में सेवा का अवसर प्रदान करने की व्यवस्था की है। साथ ही, शहीद जवान के गांव/नगर/कस्बे में शहीद की स्मृति को आगे बढ़ाने के लिए उनका एक भव्य स्मारक बनाने या उसके नाम पर किसी संस्थान का नाम अथवा किसी मार्ग का नामकरण करने की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार भारत की सीमाओं की सुरक्षा करने वाले बहादुर जवानों के साथ सदैव खड़ी है और आवश्यकतानुसार उनका हर सम्भव सहयोग भी करेगी। कार्यक्रम के दौरान कर्नल क्षितिज श्रीवास्तव ने कारगिल युद्ध से जुड़े अपने संस्मरण साझा किये। कारगिल युद्ध से जुड़ी एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर सेन्ट्रल कमाण्ड के जनरल आॅफिसर कमाण्डिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ए0 सेनगुप्ता, सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी, सैन्य कार्मिक व उनके परिजन उपस्थित थे। ------