अगर आप भाजपा की करारी हार से मुतमईन हैं और अच्छे दिन आने का ख्वाब देख रहे हैं तो सावधान हो जाइये ! अभी भाजपा तनखीन [कमजोर ] हुई है,मोदी जी को काशी ने अविनाशी मानने से इनकार जरूर किया है लेकिन अभी भी देश से अँधा युग समाप्त नहीं हुआ है। भाजपा अभी भी आम चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए उसे एक बार फिर देश की सत्ता सम्हलने का मौक़ा मिलने वाला है। ऐसे में ये मान लेना कि- खतरा टल गया है ,समझदारी नहीं है। यकीनन देश की जनता ने अठारहवीं लोकसभा के लिए जनादेश कुछ इस तरह का दिया है कि न तो सत्ता बेलगाम हो सकती है और न विपक्ष निशक्त। अब नयी संसद और नई सरकार ध्वनिमत से नहीं चलेगी। मेजें थपथपाने से नहीं चलेगी । जय श्रीराम के नारों से नहीं चलेगी । मोदी ! मोदी !! के घोष से नहीं चलेगी। नयी सरकार सीना तानकर नहीं, सिर झुककर चलेगी और उन क्षेत्रीय दलों के सामने सिर झुकाकर चलेगी जिन्हें भाजपा अब तक पैर की जूती समझती आयी थी। जनता का और जनार्दन का लाख-लाख शुक्र है कि उसने भाजपा और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन को आँखें बंद कर समर्थन नहीं दिया। अर्थात देश में अब अंधभक्तों की संख्या में भी गिरावट आयी है । जनता की आंखोंसे रतौंधी कम हुई है। काशी के चुनावी नतीजे इसका प्रमाण है। देश में जहाँ जनता ने इंदौर से भाजपा के शंकर लालवानी को अखंड 11 लाख से ज्यादा मतों से विजयी बनाया । भाजपा के हनुमान अमित शाह को सात लाख से ज्यादा मत दिए, वहीं अविनाशी और गंगा पुत्र माननीय मोदी जी को डेढ़ लाख में निबटा दिया। जाहिर है कि न गंगा ने और न काशी वासियों ने मोदी को स्वीकार किया और न देश ने। फिर भी मोदी जी को बधाई । उनके अखंड आत्मविश्वास को नमन। उनकी निर्लज्जता का अभिनंदन, जो उन्होंने अपनी हार को विनम्रता से स्वीकार करने के बजाय अपने पुराने दम्भ के साथ ही ग्रहण किया है। बेहतर होता कि भाजपा और संघ मोदी जी के विकल्प की तलाश इसी समय कर लेता। क्योंकि अब ये साबित हो गया है कि मोदी जी जब सबको साथ लेकर सबका विकास नहीं कर पाए तो वे चंद्रबाबू नायडू और नीतीश बाबू के भरोसे देश की एक मजबूत सरकार भी नहीं दे सकते। ये दोनों कब और किस मोड़ पर मोदी जी को अकेला छोड़ दें ,ये न मोदी जी जानते हैं और न भागवत जी। मोदी जी को किसी दूसरे राज्य की आवाज सुनाई दे या न दे लेकिन उन्हें देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की आवाज को कान लगाकर/ध्यान लगाकर सुनना चाहिए। लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश ने इस बार भाजपा यानि मोदी के नतृत्व वाले गठबंधन को केवल 36 सीटें दीं है। दो युवाओं की जोड़ी को 43 सीटें देकर ये जताने की कोशिश की है कि भविष्य के नेता राहुल गांधी और अखिलेश यादव हैं न कि मोशा। मोदी का जादू भले उत्तर प्रदेश पर नहीं चला लेकिन गुजरात समेत अनेक राज्यों पर चला । यहां तक कि आप की दिल्ली भी भाजपा ने फतह कर ली। ओडिशा में भगवान जगन्नाथ को ठेंगा दिखा दिया और बीजद के अखंड साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। मोदी जी शायद उत्तर प्रदेश को लेकर गफलत में रहे ,इसीलिए गच्चा खा गए। बहरहाल मोदी युग यानि राजनीति का अँधा युग अभी समाप्त नहीं हुआ है । जनता ने उसे क्षीण किया है। मोदी को अभी न भाजपा ख़ारिज कर पायी है और न आरएसएस। मोदी अभी भी भाजपा के स्वयंभू नेता हैं। भाजपा का संसदीय दल उन्हें चुने या न चुने ,वे चुने चुनाये नेता हैं। वे ही नयी सरकार के गठन के लिए आगे आएंगे । अभी विपक्ष ये गलती नहीं करेगा। विपक्ष मोदी जी को उनकी ही चालों से मात देने के लिए वक्त का इन्तजार करेगा और यही उसके हित में भी है। मोदी युग का समापन सम्भवत : चंद्र बाबू नायडू और नीतीश बाबू के हाथों से होगा ये दोनों बूढ़े लेकिन तजुर्बेकार नेता है। मोदी जी से भी ज्यादा तजुर्बा है इन दोनों के पास। राजनीति के इन दोनों ऊंटों की करवट के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। कम से कम मै तो इन दोनों के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। ग़ालिब का एक शेर बार-बार याद आता है। वे कहते हैं - था बहुत शोर की ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे देखने हम भी गए, पै ये तमाशा न हुआ दरअसल असली तमाशा अब शुरू होगा। भाजपा को अपने जिस्म से खून की एक बूँद टपकाये बिना अपने सहयोगियों को उनके हिस्से की सत्ता का एक-एक पौंड गोश्त काटकर देना होगा। भाजपा को नायडू और नीतीश का समर्थन इसी बिना पर मिलेगा। भाजपा अब 2019 की भाजपा नहीं है। नरेंद्र मोदी भी अब 2019 के मोदी नहीं हैं। अब उन्हें अपने आगे-पीछे,दाएं-बाएं चलने वाले कैमरों की आधी भीड़ नायडू और नीतीश बाबू को भी देना होगी । उन्होंने इसमें ना-नुकुर की तो फिर मुमकिन है कि मोदी जी का अंधायुग सचमुच समाप्त हो जाये। इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ये है कि संदिग्ध ईवीएम जनता की ईमानदारी के सामने बेईमानी करने से डर गयीं । हालाँकि उन्हें जहाँ मौक़ा मिला उन्होंने चौका मारा भी। बहरहाल मोदी जी को उनकी नयी सरकार को बहुत-बहुत बधाई ,शुभकामनाएं। उम्मीद की जाना चाहिए कि माननीय मोदी जी अब समझ जायेंगे की जम्मू-कश्मीर के तीन टुकड़े करने ,अयोध्या में राम मंदिर बनाने या तीन तलाक क़ानून बनाने से बैतरणी पार नहीं की जा सकती । वैतरणी पार करने के लिए अहंकार से मुक्ति आवश्यक है। अहनकार एक तरह का रोग है। इसका इलाज केवल जनता ही कर सकती है ,और उसने इलाज करने की कोशिश कीभी है। इसलिए मोदी जी कि साथ देश की जनता को भी बधाई और शुभकामनाएं।