नई दिल्ली. भारत के नए संसद भवन के उद्घाट को लेकर चल रहा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. कांग्रेस सहित 20 विपक्षी पार्टियों ने इसके बहिष्कार का ऐलान किया है. वहीं भाजपा सहित 17 पार्टियों ने सरकार के न्योते को स्वीकार कर लिया है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति से नई संसद का उद्घाटन कराने का निर्देश देने वाली याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है. विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका उद्घाटन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है. बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है. विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है. ऐसे में नए भवन का कोई मतलब नहीं है.नए संसद भवन भारतीय जनता पार्टी सहित 17 पार्टियों ने सरकार के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. वहीं कांग्रेस सहित 20 पार्टिया विरोध कर रही है. कांग्रेस नेता जयराम नरेश ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रांची में देश के सबसे बड़े न्यायिक परिसर का इनॉग्रेशन किया. यह एक व्यक्ति के अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है. जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को 28 मई को नए संसद भवन का इनॉग्रेशन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जहां तक नया संसद भवन बनाने की बात है तो यह नई बात नहीं है. यह 32 साल पहले कांग्रेस की ही सोच थी. अब कोई इसका बहिष्कार करता है या उद्घाटन समारोह में नहीं जाता है तो इस पर उन्हें कोई टिप्पणी नहीं करनी है. नए भवन का निर्माण जरूरी था और यह अच्छा है कि अब यह बन गया है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नई संसद पर बयानबाजी करना गलत है. विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है. ये गैरजिम्मेदार रवैया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन देशों की यात्रा के बाद आज सुबह दिल्ली लौट आए. पालम एयरपोर्ट पर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनका स्वागत किया. यहां उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की आत्मा क्या होती है, लोकतंत्र का सामर्थ्य क्या है, यह ऑस्ट्रेलिया में हुए भारतीय इवेंट को देखकर समझा जा सकता संसद में 75 वर्ष बाद राजदंड स्थापित होगा- प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास पवित्र सेंगोल राजदंड स्थापित करेंगे. अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात इसे पं नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था. 1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था. अब 75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश होगा.