मानकविहीन रिफ्लेक्टिव एवं रियर मार्किंग टेप के पालन न करने पर उच्च न्यायालय का कड़ा रुख
सृजन फाउंडेशन की जनहित याचिका पर अगली सुनवाई पांच जनवरी को
लखनऊ(BNE) मानकविहीन रिफ्लेक्टिव टेप एवं रियर मार्किंग टेप को लेकर परिवहन विभाग के जारी सर्कुलर के पालन न करने पर उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्डपीठ ने कड़ा रूख अपनाते हुये परिवहन विभाग सहित सभी प्रतिवादियों से जबाव मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई पांच जनवरी को होगी। न्यायालय ने मानक के अनुसार रिफ्लेक्टिव टेप एवं रियर मार्किंग टेप लगाए जाने को लेकर सृजन फाउंडेशन संस्था द्वारा दायर की गई जनहित याचिका संख्या 1127/2025 पर आदेश करते हुए उत्तरदाताओं को जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है। लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 104 और उक्त विषय पर समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों के कार्यान्वयन के लिए सभी प्रभावी कदम और उपाय किए जाएँगे। प्रभावी कदमों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया आदि जैसे सभी माध्यमों से पूरे राज्य में नियमित और समय-समय पर जागरूकता फैलाना शामिल होगा, खासकर सर्दियों के मौसम को देखते हुए, जिसमें कोहरे आदि जैसे स्पष्ट कारणों से दुर्घटनाएँ बढ़ जाती हैं। इस संबंध में प्रमाण अगली तिथि को हलफनामे के साथ प्रस्तुत किए जाएँगे। यह आदेश जस्टिस राजन रॉय एवं जस्टिस राजीव भारती की बेंच ने दिया।
सड़क दुर्घटनाओं के कई कारणों में से एक बड़ा कारण गाड़ियों पर मानक के अनुसार रिफ्लेक्टिव टेप एवं रियर मार्किंग टेप लगा न होना है। सस्ती गुणवत्ता वाले टेप लगे होने से बहुत सी दुर्घटनाएं होती हैं और बहुत मृत्यु होती हैं। ज्ञातव्य हो कि सामाजिक संस्था सृजन फाउंडेशन ने इसी मुद्दे को लेकर 15 मई 2025 को परिवहन आयुक्त को एक पत्र दिया था। इस पत्र को संज्ञान में लेते हुए 28 मई 2025 को परिवहन आयुक्त द्वारा एक सर्कुलर भी जारी किया गया जिसमें आरटीओ/एआरटीओ को मानक वाले रिफ्लेक्टिव टेप एवं रियर मार्किंग टेप लगे होने के उपरांत ही फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के लिए बोला गया। लेकिन इस पर आरटीओ/एआरटीओ स्टार पर कोई विशेष कार्यवाही नहीं हुई। इस सर्कुलर के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन के लिए पुनः एक पत्र परिवहन आयुक्त को 13 जून, 2025 को दिया गया। लेकिन जब इस पर भी कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ तो सृजन फाउंडेशन ने इस संबंध में जनहित याचिका दायर की जिसको की माननीय न्यायालय ने संज्ञान में लिया।










