बृजेश चतुर्वेदी
-Maternity wing fell prey to poor construction:छिबरामऊ नगर के महिला अस्पताल में पांच करोड़ 62 लाख की लागत से बनी पचास शैया मैटरनिटी विंग की छत पहले दिन ही बिना बारिश के टपकने लगी जिससे औषधि वितरण कक्ष में रखी दवाईयां भींग गईं। आलम यह है कि कमरे का फर्श इतना गीला है कि उसमें झाडू नहीं लग पा रही है। अस्पताल में निर्माण की गुणवत्ता पर भी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। नगर के महिला अस्पताल में पांच करोड़ 62 लाख 38 हजार की लागत से 50 शैया मैटरनिटी विंग का निर्माण कराया गया। निर्माण पूरा होने के बाद 15 दिन पहले इस अस्पताल का हस्तांतरण भी कर लिया गया। सोमवार से अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की शुरूआत हो गई। अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर मरीजों के पंजीकरण, चिकित्सकों की ओपीडी व औषधि वितरण का कार्य जबकि प्रथम तल पर टीकाकरण का कार्य शुरू किया गया। कार्य शुरू होते ही औषधि वितरण कक्ष की छत टपकने लगी और उससें रखी दवाईयां भींग गईं। फार्मासिस्ट शिवरतन सिंह ने मामले की जानकारी अधिकारियों को दी। इसके बाद दवा के गत्तों को टेबल पर रख दिया गया और कुछ गत्तों को दूसरे कमरे में रखवाया गया। आलम यह है कि तीन दिन बाद भी छत का टपकना बंद नहीं हो पाया है और जमीन पर पानी फैले होने के कारण यहां झाडू भी नहीं लग पा रही है। अस्पताल की टपकती हुई छत निर्माण की गुणवत्ता पर तमाम सवाल खड़े कर रही है। हांलाकि इस पर स्वास्थ्य विभााग के अधिकारी कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. राहुल मिश्रा ने बताया कि अस्पताल की छत टपकने की सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।
जल्दबाजी में किया हस्तांतरण या कमी को किया नजरंदाज
करोड़ों की लागत से बनकर तैयार हुई इस 50 शैया मैटरनिटी विंग का हस्तांतरण 15 दिन पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से कर दिया गया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हस्तांतरण जल्दबाजी में किया गया या फिर देखकर भी खामियों को नजरंदाज किया गया। इसके अलावा सवाल यह भी है कि पहले ही दिन जब अस्पताल की छत टपकने लगी तो बिल्डिंग कितनी मजबूत है, यह कैसे तय होगा।वहीं जब इस मामले में जिम्मेदारों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत करवा दिया गया है पर सवाल यही है कि आख़िर जनता के टैक्स के पैसों की ऐसी बंदर बांट कबतक चलती रहेगी।