लखनऊ ) अपने सरल और सौम्य स्वाभाव ,कठिन परिश्रम और जनता से जुड़े मौलिक कर्तव्यों के प्रति सचेत अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली की जनता ने अपना अपार जनसमर्थन देकर तीसरी बार सत्ता के शीर्ष गद्दी पर बैठाकर अपने 5 सालों को और अधिक सुरक्षित कर लिया है। केजरीवाल की जीत के गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चाडक्य कहे जाने वाले अमित शाह को को भी सदमा लगा है। एक बार तो लगा था कि वाक्पटुटता के धनी और भ्रम की राजनीती के जादूगर पीएम मोदी और अमित शाह की उपस्थिति से अरविन्द केजरीवाल धरासायी हो जायेगें लेकिन अरविन्द की कार्यशैली और जनता के प्रति जवाबदेही ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाने में मदद की। अब आने वाल्वे 5 सालों के लिए केजरीवाल पर और अधिक जिम्मेदारी का बोझ है। सितारों का समीकरण 25 दिसंबर 2019 से ऐसा बदला कि अरविंद केजरीवाल तमाम राजनीतिक बाधाओं को पार करते हुए दिल्ली की गद्दी तक पहुंच गए! प्रचलित कुंडली के अनुसार अरविंद केजरीवाल का वृषभ लग्न है. वर्ष 2010 में उनकी उत्तम गुरु की महादशा प्रारंभ हुई है, जो वर्ष 2026 तक चलेगी, लिहाजा तत्काल की दशा-अन्तरदशा के उतार-चढ़ाव छोड़ दें तो कुल मिलाकर यह बेहतर समय है. उनकी राजनीति में बदलाव वर्ष 2026 के बाद आएगा. आइए! देखते हैं, कैसे गुजरेंगे अरविंद केजरीवाल के अगले पांच वर्ष? वर्ष 2020 का पूर्वार्ध उनके लिए अच्छे फल देने वाला है, तो उत्तरार्ध में भी अच्छे परिणाम मिलेंगे. वर्ष 2020 अनुकूल है. वे अपने विरोधियों को मात देने में सफल रहेंगे. सेहत में सुधार के संकेत हैं. वर्ष 2021 का पूर्वार्ध अच्छा है, लेकिन उत्तरार्ध में आर्थिक चुनौतियां सवाल बन जाएंगी, तो विरोधियों से सतर्क रहने की जरूरत भी पड़ेगी. वर्ष 2022 का पूर्वार्ध परेशानियां बढ़ाने वाला होगा, लेकिन उत्तरार्ध में फिर से कामयाबी का परचम लहराएगा, खासकर बच्चों की सफलता से घर-परिवार में खुशियां आएंगी. देश-विदेश में मान-सम्मान होगा. वर्ष 2023 का पूर्वार्ध तो सुखद है, लेकिन उत्तरार्ध से सियासी संकट गहराएंगे. यही नहीं, सेहत के नजरिए से भी सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी. पूर्वार्ध तो वर्ष 2024 का भी समस्याओं से रूबरू करवाएंगा, परन्तु उत्तरार्ध में समस्याओं के बादल छंटने लगेंगे और 2025 के पूर्वार्ध में भी सियासी समय साथ देगा, 17 मार्च 2025 से पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए तो अरविंद केजरीवाल के लिए बेहतर संभावनाएं बनेंगी!